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लॉकडाउन में लौटे तीन भाइयों ने शुरू की चप्पल फैक्ट्री, हो रही शानदार कमाई - Slippers are self-employed in Bageshwar

लॉकडाउन में घर लौटे भुवन जोशी ने उद्योग विभाग से ऋण लेकर चप्पल बनाने की फैक्ट्री शुरू की. आज वो घर पर रहकर ही अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं.

Three brothers returned to the village in lockdown started slippers factory
तीन भाईयों ने शुरू की चप्पल फैक्ट्री

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Published : Apr 16, 2021, 5:55 PM IST

Updated : Apr 16, 2021, 7:29 PM IST

बागेश्वर:कोरोना संक्रमण ने लोगों को रिवर्स पलायन की राह भी दिखाई है. लॉकडाउन में घर लौटे नदीगांव के तीन भाइयों ने प्राइवेट नौकरी छोड़कर घर पर ही हवाई चप्पल बनाने की फैक्ट्री लगाई. अब हर महीने तीनों भाई छह हजार जोड़ी चप्पल अपनी ही फैक्ट्री में बना रहे हैं. लोग भी इनसे सस्ते दामों पर हाथों-हाथ चप्पल खरीद रहे हैं.

लॉकडाउन में लौटे तीन भाइयों ने शुरू की चप्पल फैक्ट्री

बागेश्वर में बाहरी प्रदेशों से लौटे 6,085 प्रवासियों को घर पर ही रोजगार मिल गया है. इससे रिवर्स पलायन को मजबूती मिली है. बागेश्वर जिले में 60,662 प्रवासी कोरोना काल में घर लौटे हैं. इनमें बाहरी प्रदेशों से 29,628 और राज्य के अन्य जिलों से 31034 प्रवासी घर लौटे हैं. घर लौटे इनमें से कुछ ने सरकारी योजनाओं का लाभ लेकर अपना व्यवसाय शुरू किया है.

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देहरादून में प्राइवेट नौकरी कर रहे भुवन जोशी लॉकडाउन में घर लौटे. इसके साथ ही उनके दो भाई भी घर वापस आ गए. तीनों भाइयों ने स्वरोजगार करने का फैसला किया. जिसके लिए उन्होंने उद्योग विभाग से ऋण लेकर चप्पल बनाने की फैक्ट्री शुरू की. आज वो घर पर रहकर ही अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं. कपकोट, कांडा, थल, बेरीनाग समेत कई जगहों पर वो मार्केटिंग कर रहे हैं. आज चप्पल की तीन सौ जोड़ी हर रोज निकल जाती हैं.

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वहीं, जिला विकास अधिकारी से इस बारे में जानकारी प्राप्त हुई कि कोरोना काल में जिले में 245 प्रवासियों ने मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना से उद्योग स्थापित करने करने के लिए आवेदन किए हैं. इनमें से 4 करोड़ 69 लाख 32 हजार रुपये धनराशि के 169 आवेदनों को जिला स्तरीय चयन समिति ने स्वीकृति प्रदान कर बैंकों को ऋण उपलब्ध कराने के लिए भेज दिया है. वहीं, प्रधानमंत्री रोजगार सृजन योजना के तहत 6 करोड़ 31 लाख 79 हजार रुपये के 138 आवेदनों को स्वीकृति प्रदान की गई.

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जिला विकास अधिकारी केएन तिवारी ने बताया कि अब तक 4,515 प्रवासियों को मनरेगा में काम दिया जा रहा है. यानि कि 6,085 प्रवासी अब रोजी-रोटी के लिए बाहर की खाक नहीं छानेंगे. उन्होंने कहा कि आंकड़ा लगातार बढ़ रहा है.

Last Updated : Apr 16, 2021, 7:29 PM IST

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