बागेश्वर: डिजिटलीकरण के दौर में जिले के कई गांव संचार सेवा से महरूम हैं. गरुड़, कपकोट, कांडा तहसील के 30 से अधिक गांवों में मोबाइल नेटवर्क नहीं पकड़ता है. दो दर्जन से अधिक गांवों में थ्री जी और फोर जी की सुविधा न होने से लोग इंटरनेट सुविधा का लाभ भी नहीं ले पाते हैं.
गौर हो कि प्रभावित गांव कांडा, कपकोट, गरुड़ तहसील के हैं. आपदा की दृष्टि से संवेदनशील तहसील कपकोट के दूरस्थ गांवों में संचार सुविधा का न होना प्रमुख समस्या है. कपकोट के गांव दुलम, झूनी, खलझूनी, खाती, वाछम, लीती, गोगिना, रातिरकेटी, हांप्टीकापड़ी, बघर, दोबाड़ आदि गांवों में नेटवर्क नहीं पकड़ता है. भनार, माजखेत, कर्मी, बदियाकोट, सोराग, पोथिंग, लीली, तोली, फरसाली, खर्ककानातोली, गुलेर, मल्लादेश आदि गांवों में केवल टूजी नेटवर्क काम करता है. वहीं, कांडा तहसील के खातीगांव, पैठाण, नरगोली, औलानी, देवलेत, ठांगा, चंतोला, कपूरी, खाणी, अठपैसिया, पस्टयारी, कोटभंडार, धौलियापाटा आदि गांवों में नेटवर्क नहीं मिलता है.
डिजिटलीकरण के दौर में जिले में 30 से अधिक गांव संचार सेवा से वंचित
सरकार जहां एक ओर डिजिटलीकरण को बढ़ावा देने की बात करती है, वहीं दूसरी ओर जमीनी हकीकत ठीक उलट है. बागेश्वर जनपद के कई गांव अभी भी संचार सेवा से वंचित हैं.
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वहीं, गरुड़ तहसील की लाहुर घाटी के दाबू, हड़ाप, सिमगड़ी, भगदानू जाख, सलानी, गनीगांव, लमचूला आदि गांवों में भी संचार सेवा नहीं है. इन गांवों में लोगों के लिए मोबाइल फोन पर बात करना सपने जैसा है. वहीं जिन गांवों मे केवल टूजी सुविधा है वहा के लोगों को मोबाइल पर इंटरनेट का उपयोग करने में परेशानी होती है. जिपं सदस्य वंदना ऐठानी व गोपा धपोला ने बताया कि संचार असुविधा के कारण लोगों को परेशानी होती है. ग्रामीण कई बार समस्या को शासन प्रशासन के सामने रख चुके हैं, लेकिन लोगों को संचार सुविधा नहीं मिल सकी है.