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कैसे होगी स्वच्छ भारत की कल्पना साकार, जब जिले का होगा ऐसा हाल - स्वच्छता पखवाड़ा

जिले में 14 सितम्बर तक चलने वाले स्वच्छता पखवाड़े अपने अन्तिम चरण में है. ऐसे में जिला प्रशासन और नगरपालिका लोगों को स्वच्छता के प्रति जागरूक करने का अभियान चलाए हुए है. वहीं, दूसरी तरफ नगर पालिका द्वारा करीब एक माह से कूड़ा नहीं उठाया गया है. जिसके चलते नगर में जगह-जगह कूड़े के ढेर लगे हुए हैं.

नगर पालिका परिषद

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Published : Sep 13, 2019, 3:17 PM IST

बागेश्वर: केंद्र सरकार के निर्देश पर सूबे के सभी जिलों में स्वच्छता पखवाड़े का आयोजन किया जा रहा है. जो बीते 1 सितंबर से शुरू होकर 14 सितम्बर तक चलेगा. लेकिन जब ये स्वच्छता अभियान अपने अंतिम चरण में है. ऐसे में सभी जिलों में स्वच्छता की हर कोई आशा और अपेक्षा करेगा. हालांकि, बागेश्वर में इस स्वच्छता पखवाड़े की तस्वीर कुछ अलग ही है. जहां पालिका प्रशासन की लापरवाही के चलते पिछले एक माह से कूड़ा नहीं उठाया गया है. जिसके चलते नगर में जगह-जगह कूड़े का अंबार लगा है.

बता दें कि 14 सितम्बर तक चलने वाले स्वच्छता पखवाड़े अन्तिम चरण में है. इस दौरान जिला प्रशासन और नगरपालिका जनता को स्वच्छता के प्रति जागरूक करने के लिए अभियान चलाए हुए है. वहीं, दूसरी तरफ नगर पालिका द्वारा करीब एक माह से कूड़ा नहीं उठाया गया है. आलम ये है कि नगर पालिका द्वारा वार्डों में लगाये गए कूड़े दान पूरी तरह कचरे से भरे हुए हैं.

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इसके अलावा सड़कों पर कूड़ा इकट्ठा होने से नगर में संक्रामक बीमारियों के फैलने का खतरा भी बढ़ गया है. नगर के ठाकुरद्वारा, चौरासी, भागीरथी, नुमाइसखेत, तहसील रोड आदि जगहों में कूड़े के ढेर लगे हैं. जिनसे उठती दुर्गंध राहगीरों के लिए परेशानी का सबब बनी हुई है. वहीं, एनजीटी नियमों को दरकिनार करते हुए सार्वजनिक जगहों पर ही कूड़े के ढेरों का जलाया जा रहा है. जिससे लोगों में काफी रोष है.

कैसे होगी स्वच्छ भारत की कल्पना साकार, जब जिले का होगा ऐसा हाल.

वहीं, स्थानीय लोगों का कहना है कि एक ही दिन में कूड़ेदानों में काफी कूड़ा जमा हो जाता है. नगर पालिका को हर रोज कूड़ा उठाना चाहिए. लेकिन पिछले एक माह से कूड़ा नहीं उठाया जा रहा है. वहीं, लंबे समय से नगर पालिका की गाड़ी भी कूड़े के कलेक्शन के लिए नहीं आ रही है. जिससे लोगों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. इतना ही नहीं इन कूड़े के ढेरों के आसपास बंदरों, कुत्तों और आवारा पशुओं का झुंड भी देखा जा सकता है.

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वहीं, इस मामले में नगर पालिका के ईओ राजदेव जायसी का कहना है कि वर्तमान में नगरपालिका में सफाई कर्मचारी की 51 पद सृजित हैं. लेकिन पालिका के पास मात्र 31 सफाई कर्मचारी ही हैं. पालिका प्रशासन व्यवस्था बनाने के लिए कुछ कर्मियों को दैनिक वेतन पर रखा गया था. लेकिन शासन के निर्देश पर इन्हें हटाकर आउट सोर्सिंग से रखने का प्रयास किया गया. जिसका कुछ स्वच्छकों ने विरोध किया है. इसी के चलते यह समस्या पैदा हुई है.

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