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ट्रॉली के सहारे चल रही भगत सिंह कोश्यारी के गांव की जिंदगी, अब तो सुध लो 'सरकार'

पूर्व सीएम और महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी के गृह क्षेत्र में लोगों की जिंदगी पिछले तीन साल से ट्रॉली के सहारे चल रही है.

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Published : Jun 18, 2021, 2:32 PM IST

Updated : Jun 18, 2021, 6:41 PM IST

Bageshwar Latest News
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बागेश्वर:प्रदेश के पूर्व सीएम और महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी के गृह क्षेत्र के लोगों की जिंदगी पिछले तीन साल से ट्रॉली के सहारे चल रही है. रामगंगा नदी में बना झूलापुल साल 2018 में नदी के तेज बहाव में बह गया था. इसके बाद नया पुल भी स्वीकृत हुआ, लेकिन आज तक बन नहीं पाया है.

ग्रामीण लोनिवि की ओर से लगाई गई ट्रॉली से नदी पार करने पर मजबूर हैं. ट्रॉली की रस्सी ढीली होने के कारण जोखिम बढ़ गया है. ऐसे में पुल नहीं बनने से क्षेत्रवासियों का रोष बढ़ता जा रहा है.

ट्रॉली के सहारे जिंदगी

साल 2018 में बह गया था पुल

गौर हो, साल 2018 में कपकोट की महरगाड़ घाटी में भारी बारिश के कारण काफी नुकसान हुआ था. रामगंगा नदी के तेज बहाव से क्षेत्र में भूकटाव भी हुआ. इसकी जद में आने से मोटर मार्ग, पैदल रास्ते सहित रामगंगा में कालापैरकापड़ी गांव के भकुना के पास बना पैदल पुल बह गया.

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ट्रॉली की रस्सी ढीली होने से बढ़ा खतरा

पुल बहने के बाद सत्तापक्ष और विपक्ष के लोगों ने निरीक्षण किया. ग्रामीणों के नदी से आर-पार जाने के लिए लोनिवि की ओर से एक ट्रॉली लगा दी गई. तीन वर्ष बाद अब ट्रॉली की गरारी और रस्सी ढीली हो गई हैं. इस पर नदी पार करने में खतरा बना रहता है. बारिश के दौरान रामगंगा के उफान पर रहने से खतरा अधिक बढ़ जाता है. इसे देखते हुए ग्रामीणों ने जल्द पुल निर्माण की मांग की है.

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6 हजार की आबादी प्रभावित

कालापैरकापड़ी के ग्राम प्रधान गंगा सिंह कार्की ने बताया कि रामगंगा नदी में पैदल पुल का निर्माण करीब 45 वर्ष पहले हुआ था. पुल की मदद से माजखेत न्याय पंचायत के राज्यपाल कोश्यारी के गांव नामती, चेटाबगड़, किसमिला, कालापैरकापड़ी और कनौली भकुना आदि गांवों की करीब 6 हजार की आबादी नाचनी बाजार जाती थी.

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पिथौरागढ़ के इस क्षेत्र का नाचनी मुख्य बाजार है. यहां से ग्रामीण घर के जरूरी सामान लाने के अलावा बैंक आदि पर भी निर्भर हैं. पुल टूटने के बाद कालापैरकापड़ी, भकुना, किसमिला के ट्रॉली के सहारे ही नदी पार करने को मजबूर हैं.

ट्रॉली से भारी सामान, अनाज, घास तक ले जाते हैं ग्रामीण

पुल टूटने के बाद लगाई गई ट्रॉली को लोगों की गांव से बाजार तक आवाजाही के लिए बनाया था, लेकिन अन्य साधन न होने के कारण ग्रामीण इसी ट्रॉली की सहायता से भारी सामान, अनाज, घास तक ले आते हैं.

पूर्व विधायक ने सरकार पर लगाया आरोप

पूर्व विधायक ललित फर्स्वाण का कहना है कि बच्चों के स्कूल जाने से लेकर मरीज को अस्पताल ले जाने तक का साधन भी ट्रॉली ही है. विश्व बैंक से करीब 14 करोड़ की लागत से 100 मीटर का स्वीकृत पुल नहीं बन पाया. अब इसे शासन-प्रशासन की नाकामी कहें या क्षेत्रीय विधायक का उपेक्षित रवैया कि, स्वीकृत होने के बावजूद पुल का निर्माण नहीं हो सका. ग्रामीण ट्रॉली के सहारे रामगंगा को पार करने का जोखिम उठा रहे हैं.

पुल के लिए स्वीकृत धनराशि कोरोना नियंत्रण में खर्च

पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष हरीश ऐठानी का कहना है कि इसे शासन-प्रशासन की नाकामी कहिए या क्षेत्रीय विधायक का उपेक्षित रवैया स्वीकृत होने के बावजूद पुल का निर्माण नहीं हो सका. ग्रामीण ट्रॉली के सहारे रामगंगा को पार करने का जोखिम उठा रहे हैं. उन्होंने कहा कि क्षेत्रीय विधायक महाराष्ट्र के राज्यपाल की प्रतिष्ठा को धूमिल करना चाहते हैं. इसलिए पुल के निर्माण को पूरा नहीं करना चाहते हैं.

Last Updated : Jun 18, 2021, 6:41 PM IST

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