बागेश्वर: प्रदेश में विधानसभा चुनाव को अब महज कुछ दिन बचे हैं. ऐसे सभी प्रत्याशी विकास के नाम उत्तराखंड के दूर-दराज के इलाकों में पहुंच कर वोट मांग रहे हैं. लेकिन उत्तराखंड के बागेश्वर जिले के कपकोट विधानसभा के दर्जनों गांव आज भी मूलभूत सुविधाओं के लिए लड़ाई लड़ रहे हैं. सड़क, बिजली, शिक्षा, स्वास्थ्य के साथ ही इन गांवों में संचार की समस्या आज भी लोगों के जी का जंजाल बनी हुई है. इन दुर्गम लोकतांत्रिक पड़ावों में विकास की किरण आज तक भी नहीं पहुंच सकी है.
प्रदेश में लोकतंत्र का उत्सव अपने चरम पर है. ऐसे में सभी राजनीतिक दलों से जुड़े प्रत्याशी और निर्दलीय प्रत्याशी जिले के सबसे दुर्गम में क्षेत्रों में मतदाताओं के दर पर दस्तक दे रहे हैं. यहां के लोगों में मतदान का उत्साह तो है, लेकिन 75 साल के लोकतंत्र में भी पिछड़े ही रहने का मलाल भी है. कुछ ऐसा ही हाल कपकोट विधानसभा के दर्जनों गांवों का है. इन क्षेत्रों में बसे गांवों का युवा वर्ग तो आजीविका के लिए महानगरों की खाक छान रहे हैं और गांव में रह गए बूढ़े, बच्चे और महिलाएं.
कपकोट विधानसभा के गैराड़ गांव में 500 वोटर हैं. इस गांव के लोग आज भी पानी, बिजली, सड़क, स्वास्थ्य जैसी सुविधाओं के लिए आज भी उम्मीद की किरण जगाएं बैठे हैं. लेकिन हर बार चुनाव में नेता वादे करते हैं. चुनाव के बाद इन क्षेत्रों में कोई झांकने तक नहीं आता. हर बार ग्रामीणों की उम्मीदें जस की तस रह जाती हैं. गांव को जोड़ने वाली गैराड़ रोड का भेरूचौप्ट्टा से मिलान होना था लेकिन आज तक भी नहीं हो सका है. स्कूल सिर्फ हाईस्कूल तक ही है.