बागेश्वरः जिले के काफलीगैर तहसील अंतर्गत झिरोली में स्थित स्टोन क्रशर यूनिट को बंद कर दिया गया है. वर्ष 1972 में स्थापित अल्मोड़ा मैग्नेसाइट कंपनी के इस स्टोन क्रशर यूनिट को खनन विभाग ने बंद करने का निर्णय लिया है. ऐसे में सरकार के इस कदम से एक हजार परिवारों के भविष्य पर संकट खड़ा हो गया है. छह माह पहले खनन विभाग ने सभी मानक पूरे होने के बावजूद ई-रवन्ना को लेकर उपखनिज को बेचे जाने पर रोक लगा दी, जिसके बाद से कंपनी में काम करने वाले करीब एक हजार कर्मचारियों को वेतन के लाले पड़ गए हैं.
बता दें कि अप्रत्यक्ष रूप से भी पांच हजार की जनता प्रभावित हो रही है. पिछले कई दशकों से इस कंपनी के कारण क्षेत्र के 16 गांवों से बिल्कुल भी पलायन नहीं हुआ था. अब कंपनी पर आर्थिक संकट छाने से पूरे क्षेत्र पर पलायन का खतरा भी मंडराने लगा है. दरअसल, 45 साल पहले अल्मोड़ा जिले के काफलीगैर (अब बागेश्वर जिला) में झिरोली मैग्नेसाइट कंपनी की स्थापना की गई थी, जिसमें स्थानीय लोगों को रोजगार दिया गया. वर्तमान में उन कर्मचारियों की तीसरी पीढ़ी यहां कार्य कर रही है.
यूनियन के ज्वाइंट सेकेट्री मनोज तिवारी ने बताया कि दो दशक पहले कंपनी पर आर्थिक संकट आने के बाद 2004 में कंपनी से निकलने वाले मलबे का सदुपयोग करने की इजाजत दी गई. 4 फरवरी 2003 को कंपनी को अनुमति मिलने के बाद यहां खनन कार्य शुरू हुआ, जिसका लाभ क्षेत्र की जनता को होने लगा. निर्माण कार्यों में यहां के उपखनिज का उपयोग होने लगा, लेकिन छह माह पूर्व खनन विभाग ने खनन के ई-रवन्ना पर रोक लगा दी, जबकि कंपनी के पास सभी स्वीकृतियां थी.