बागेश्वर:जिले में विकास प्राधिकरण हटाने को लेकर रविवार को एक बैठक का आयोजन किया गया. बैठक में विकास प्राधिकरण को हटाने के लिए चलाये जा रहे आंदोलन को लक्ष्य तक पहुंचाने का संकल्प लिया गया. आंदोलनकारियों ने कहा कि डीडीए की आड़ में आम जनता का उत्पीड़न किया जा रहा. साथ ही बैठक में मोर्चे के सदस्यों ने कहा कि सरकारी कार्यों के निर्माण नियमों की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं. जिसका खुलासा आरटीआई से मिली जानकारी में हुआ है. बैठक में आंदोलकारियों ने सरकार को चेताते हुए कहा कि अगर जल्द से जल्द डीडीए को नहीं हटाया गया तो वे उग्र आंदोलन को विवश होंगे. जिसकी पूरी जिम्मेदारी सरकार की होगी.
डीडीए के खिलाफ लोगों ने खोला मोर्चा. बैठक में मोर्चा अध्यक्ष प्रमोद मेहता ने कहा कि महायोजना और डीडीए के मानक अव्यवहारिक हैं. सरकार को इस व्यवस्था को भंग कर देना चाहिए. विधायक चंदन रामदास की अध्यक्षता में गठित समिति से भी जनमत को सरकार तक पहुंचाने की अपील की. साथ ही कहा कि निजी और सरकारी निमार्ण कार्यों में सभी सरकारी नियम समान रूप से लागू होने चाहिए. लेकिन निजी और सरकारी भवन निर्माण में डीडीए के मानकों का क्रियान्वयन करने में भेदभाव किया जा रहा है. विभागीय अधिकारी नियमों का पालन कराने में लापरवाही बरत रहे हैं.
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मोर्चा के अध्यक्ष प्रमोद मेहता ने बताया कि बागेश्वर में विकास प्राधिकरण जैसे काले कानून को आम जनता पर जबरन थोप दिया गया है. जिसके चलते आम आदमी अपने घर बनाने के सपने को भी पूरा नहीं कर पा रहा है. उन्होंने कहा कि बड़े- बड़े सरकारी भवनों का निर्माणकार्य विकास प्राधिकरण के नियमों को ताक पर रख कर धड़ल्ले से हो रहा हैं. जिस पर किसी की नजर नहीं है. प्रमोद मेहता ने कहा कि जिला प्रशासन आम आदमी को प्राधिकरण के नियमों का हवाला दे कर ध्वस्तीकरण की कार्रवाई कर रही है.
प्रमोद मेहता ने ने बताया कि ईवीएम/वीवीपैट कलेक्शन सेंटर, विकास भवन में कार पार्किंग, बागनाथ मंदिर परिसर के सौंदर्यीकरण, नदीगांव के निर्माणाधीन रैन बसेरे, 132 केवी सब स्टेशन, हाइडिल परिसर में हुए निर्माण, डायट भवन, जीआईसी सभागार, ताइक्वांडो हॉल बनने के बाद संबंधित विभागीय अधिकारियों से औपचारिकता पूरी करवाने को कहा जा रहा है. जबकि आम लोगों को आवेदन करने के बाद चक्कर लगाने पड़ रहे हैं.
उन्होंने कहा कि जनता जन आंदोलनों के माध्यम से सरकार को इसका मुहतोड़ जवाब दिया जाएगा. उन्होंने कहा कि वे इस मामले को हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाएंगे हैं. जिसके लिए सभी दस्तावेज तैयार कर लिए गए हैं. उन्होंने कहा कि मोर्चा के माध्यम से जनता यही मांग करती है कि पर्वतीय क्षेत्र से जिला विकास प्राधिकरण जैसे काले कानून को जल्द से जल्द हटाया जाए.
बता दें कि सेवा का अधिकार अधिनियम के तहत 15 दिन में नक्शा पास न होने पर नगर क्षेत्र के दो लोग आत्महत्या कर चुके हैं. इसके बावजूद सरकार की आंख नहीं खुल सकी है. स्थानीय लोग डीडीए का लगातार विरोध कर रहे हैं. इसके लिए वार्ड स्तर पर हस्ताक्षर अभियान भी चलाया जा रहा है. डीडीए के विरोध में जल्द ही मंडल स्तरीय महारैली भी निकाली जाएगी. साथ ही मोर्चा के सदस्यों ने जल्द ही डीडीए खत्म न करने पर उग्र आंदोलन की चेतावनी दी है.