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बापू से प्रेरित होकर रखी थी जिस खादी केंद्र की नींव, आज वो बन गया अराजक तत्वों का अड्डा - Mahatma Gandhi

सोमेश्वर तहसील के रनमन के समीप पोखरी ग्राम पंचायत में चार दशक पूर्व बना सूत एवं खादी केंद्र पिछले तीन दशक से जर्जर हालत में पड़ा हुआ है. इस सूत कताई केंद्र में रनमन क्षेत्र के अनेक गांवों की महिलाओं को सूत कताई, ऊन कताई और चरखा कताई से अलग-अलग प्रकार के ऊनी और सूती वस्त्र हेतु बुनाई आदि का प्रशिक्षण दिया जाता था.

बंद पड़ा सूत कताई केंद्र.

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Published : Sep 16, 2019, 3:22 PM IST

सोमेश्वर:जहां एक ओर समूचा देश राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की 150वीं जयंती धूमधाम से मनाने की तैयारी कर रहा है. वहीं दूसरी ओर महात्मा गांधी की खादी और ग्रामोद्योग की सोच को साकार करने के उद्देश्य से स्थापित लघु उद्योग दम तोड़ रहे हैं. सोमेश्वर क्षेत्र में आज गांधी आश्रम प्रशिक्षण केंद्र, उत्पादन केंद्र, और बिक्री केंद्र करोड़ों के घाटे में चल रहे हैं. जिससे उनके अस्तित्व पर खतरा मंडरा रहा है. जिसकी बानगी सोमेश्वर के रनमन स्थित सूत कताई केंद्र पोखरी में देखने को मिलती है. जोकि आज अराजक तत्वों का अड्डा बना हुआ है.

सोमेश्वर तहसील के रनमन के समीप पोखरी ग्राम पंचायत में चार दशक पूर्व बने सूत एवं खादी केंद्र पिछले तीन दशक से लावारिस हालत में पड़ा हुआ है. इस सूत कताई केंद्र में रनमन क्षेत्र के अनेक गांवों की महिलाओं को सूत कताई, ऊन कताई, और चरखा कताई आदि का प्रशिक्षण दिया जाता था.

यही नहीं बापू के स्वदेशी अपनाओं और खादी का प्रयोग करो जैसे नारों से प्रेरित बौरारौ घाटी के क्षेत्रवासियों में खादी के प्रति विशेष लगाव था. लेकिन गांधी आश्रम संस्था के लगातार घाटे में डूबने और अव्यवस्थाओं के कारण यह केंद्र आज बंजर हालात में पड़ा है.

देखरेख के अभाव में खादी केंद्र हुआ जर्जर.

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पोखरी के ग्राम प्रधान गिरीश आर्य का कहना है कि 80 के दशक में स्थापित इस केंद्र में क्षेत्र की अनेक महिलाओं को रोजगार और प्रशिक्षण मिलता था, लेकिन आज यह भवन अराजक तत्वों का अड्डा बना हुआ है. इस भवन के बगल में स्थित एएनएम केंद्र के संचालन में भी कर्मचारियों को खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. ग्राम पंचायत ने कई बार प्रशासन को प्रस्ताव भेजकर उक्त भवन को ग्राम पंचायत पोखरी या महिला स्वयं सहायता समूह को हस्तांतरित करने की मांग की, लेकिन कोई ठोस कार्रवाई न होने से भवन खंडहर बनता जा रहा है.

उन्होंने कहा कि शीघ्र ही प्रशासन को सड़क किनारे पड़े इस भवन को ग्राम पंचायत को सौंप देना चाहिए ताकि इसका सार्वजनिक उपयोग हो सके.

बता दें राष्ट्रपिता महात्मा गांधी सोमेश्वर घाटी में साल 1929 में अपनी अंग्रेज शिष्या सरला बहन और सौराष्ट्र के शांतिलाल त्रिवेदी के साथ पहुंचे थे. तब महात्मा गांधी जी की 'खादी अपनाओ, स्वदेशी का इस्तेमाल करो' जैसे नारों से प्रभावित होकर सोमेश्वर क्षेत्र की जनता ने खादी और ऊनी वस्तुओं को खूब प्रोत्साहन दिया. क्षेत्र के 58 स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों ने आजादी की लड़ाई में सक्रिय भाग लिया और पूरे क्षेत्र में खादी के प्रति लोगों में विशेष लगाव रहा.

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