बागेश्वर:पिछले साल हिमालयी क्षेत्र में उगने वाले लिलियम फूलों को बाजार नहीं मिल पाए थे. तब किसानों को लाखों का नुकसान हुआ था. पिछले साल से सीख लेते हुए हिमालयी क्षेत्रों के किसानों ने इस बार लिलियम के फूलों की खेती नहीं की है. ऐसे में हिमालयी क्षेत्र में उगने वाला ये फूल इस बार बाजारों में नजर नहीं आएगा.
दरअसल लिलियम के फूलों की खेती हिमालयी क्षेत्रों में की जाती है. ये फूल दिखने में बेहद खूबसूरत और सुगंधित होते हैं. इन्हें घरों में एक महीने तक पानी में रखा जा सकता है. लंबे समय तक टिकने की वजह से इस फूल की बाजारों में काफी डिमांड है. हिमालयी क्षेत्र के करीब 20 से 25 किसान लिलियम फूल की खेती से जुड़े हुए हैं. किसानों ने बताया कि कोरोना से पहले वो इस फूल की खेती करके 1 से 2 लाख तक की आमदनी कर लेते थे. लेकिन कोरोना काल में बाजार ना मिलने की वजह से इस बार फूलों की खेती नहीं की गई.
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किसानों का कहना है कि पिछले साल लिलियम फूल की खेती करके उन्हें लाखों का घाटा उठाना पड़ा था. इसे देखते हुये इस बार लिलियम की खेती नहीं की गई. बता दें कि प्रदेश के पूर्व राज्यपाल केके पाॅल ने लिलियम की खेती को लेकर उद्यान विभाग को कार्ययोजना बनाने को कहा था. किसानों को इसकी खेती से लाभान्वित करने की पहल की थी. उनकी पहल काफी हदतक किसानों की आर्थिकी को मजबूत करने में सक्षम रही.
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उधर, जिला उद्यान अधिकारी आरके सिंह ने कहा कि जिले के पर्वतीय क्षेत्र में बागवानी की स्थिति और फूलों की बागवानी कर रहे किसानों को हुए नुकसान का आकलन किया जा रहा है. खासकर गांवों में जो किसान अपनी आर्थिकी सुधारने के लिए व्यावसायिक खेती पर ध्यान दे रहे थे, उन्हें सबसे अधिक नुकसान हुआ है. ऐसे में प्रदेश सरकार को किसानों की मदद के लिए आगे आने की जरूरत है, जिससे किसानों का खेती के प्रति उत्साह और हौसला बरकरार रहे.