देहरादून/बागेश्वर/चंपावतः उत्तराखंड में हरेला महोत्सव बड़ी धूमधाम से मनाया जा रहा है. हरेला एक पारंपरिक पर्व है, लेकिन अब इसे पौधरोपण से जोड़ दिया गया है. लिहाजा, हर साल हरेला के मौके पर बड़े स्तर पर पौधरोपण किया जाता है. इसी कड़ी में प्रदेशभर में पौधरोपण किया जा रहा है. वहीं, देहरादून में पूर्व सीएम हरीश रावत ने हरेला पर्व के मौके पर पंचायती मंदिर पहुंचकर पूजा-अर्चना की. साथ ही प्रदेशवासियों को हरेला पर्व की बधाई दी है.
देहरादून
पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने कहा कि हरेला पर्व हमारी आध्यात्मिक और सांस्कृतिक परंपरा से जुड़ा पर्व है. कहा जाता है कि हिमालय की बेटी नंदा को अपने मायके का अन्न मिले, इसके लिए 7 या 9 अनाज का हरेला बोकर भेजा जाता था. आज भी उस परंपरा के प्रतीक स्वरूप जहां भी बेटी रहती है, वहां हरेला भेजा जाता है. माना जाता है कि भगवान शिव की भी स्तुति हो रही है. ऐसे में यह पर्व एक महीने तक चलता है और घी संक्रांत को खत्म होता है.
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हरेला पर्व को जानिए
उत्तराखंड में हरेला एक लोकप्रिय और पारंपरिक त्योहार है. जिसे श्रावण मास की संक्रांति को मनाया जाता है. इस त्योहार को हरियाली के आगमन, घर की सुख-समृद्धि व भगवान शिव से जोड़कर देखा जाता है. श्रावण मास की संक्रांति से 9 दिन पहले अषाढ़ महीने में एक टोकरी में घर के अंदर किसी कोने में पांच या सात प्रकार के अनाज जिसमें गेहूं, जौ, मक्का, भट्ट, सरसों, धान आदि को बोया जाता है. इसकी रोजाना पूजा की जाती है और इसमें जल चढ़ाया जाता है. अंधेरे में रखने की वजह से इसका रंग पीला पड़ जाता है.