बागेश्वरः कोरोना महामारी की बीच बागेश्वर जिले में एक और बीमारी ने दस्तक दी है. यहां गलाघोंटू यानी डिप्थीरिया बीमारी की चपेट में आकर अब तक 8 बच्चों की जान जा चुकी है. बीती देर रात भी एक बच्ची की मौत हुई है. इससे पहले जिले में सात बच्चों की इस बीमारी से मौत हो चुकी है. इस बीमार का असर ज्यादातर छोटे बच्चों पर पड़ रहा है. वहीं, इस बीमारी के आने से लोग काफी चितिंत हैं.
बागेश्वर जिले में इन दिनों गलाघोंटू बीमारी का खौफ है. यह बीमारी छोटे बच्चों को अपना शिकार बना रही है. जिले के सिमखेत गांव में भी गलाघोंटू बीमारी पहुंच चुकी है. सिमखेत गांव के हरीश सिंह की बेटी हर्षिता (12) एक हफ्ते पहले गलाघोंटू बीमारी की चपेट में आ गई थी. परिजन उसे जिला अस्पताल ले गए. जहां बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. मनीष पंत ने उनका इलाज किया. बच्ची में डिप्थीरिया के लक्षण मिले थे. बच्ची के स्वास्थ्य में सुधार नहीं होने पर परिजन उसे हल्द्वानी ले गए. जहां रविवार को इलाज के दौरान बच्ची ने दम तोड़ दिया.
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वहीं, सोमवार सुबह परिजन मासूम का शव लेकर गांव पहुंचे. बीमारी के गांव में पांव पसारने से सभी लोग दहशत में हैं. उन्होंने स्वास्थ्य विभाग से गांव में शिविर लगाकर बच्चों का टीकाकरण करने और बीमारी की चपेट में आए बच्चों का इलाज करने की मांग की है. इससे पहले इस बीमारी ने बागेश्वर जिले के कपकोट तहसील के कनलगड़घाटी में भी दस्तक दी थी.
मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ. बीडी जोशी ने बताया कि सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र बैजनाथ के डॉक्टर गांव पर निगरानी रखे हुए हैं. गांव में बीपीडी यानी वैल्यू ऑफ वैक्सीनेशन और टीडी यानी टेटनेस एंड डिप्थीरिया का टीकाकरण शुरू किया गया है. उन्होंने बताया कि जांच के बाद डिप्थीरिया की शिकायत सामने आई है.
डिप्थीरिया नामक बैक्टीरिया से फैलती है बीमारी
डॉक्टरों के मुताबिक, यह बीमारी डिप्थीरिया नामक एक बैक्टीरिया से फैलती है. इस बीमारी को ही गलाघोंटू बीमारी कहते हैं. यह एक प्रकार की संक्रामक बीमारी होती है, जो कि किसी पीड़ित व्यक्ति के संपर्क में आने से या उसके द्वारा उपयोग में लाई गई किसी वस्तु को छूने से भी फैल सकती है. डिप्थीरिया से पीड़ित व्यक्ति के छींकने, खांसने और और बहती हुई नाक से बैक्टीरिया हवा में प्रवेश करके उसके संपर्क में आने वाले व्यक्ति को संक्रमित कर देते हैं.