उत्तराखंड

uttarakhand

ETV Bharat / state

बाबा बागनाथ मंदिर से दिव्य ज्योति लखनऊ रवाना, उत्तरायणी मेले का होगा आगाज - लखनऊ उत्तरायणी मेला

Uttarayani Mela Lucknow लखनऊ में उत्तरायणी मेले का आयोजन होता है. जिसका आगाज बागेश्वर के बागनाथ मंदिर की ज्योति से होता है. हालांकि, यह परंपरा पुरानी नहीं है, लेकिन इसका मकसद बाबा बागनाथ की महिमा और उत्तराखंड की संस्कृति को बढ़ाना है. इस बार भी बाबा बागनाथ मंदिर से दिव्य ज्योति लखनऊ रवाना हो गई है.

Divya Jyoti leaves for Lucknow
दिव्य ज्योति लखनऊ रवाना

By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Jan 13, 2024, 1:29 PM IST

बागेश्वर: माघ महीने में लखनऊ में उत्तरायणी मेले का आयोजन किया जाता है. खास बात ये है कि इस मेले का शुभारंभ बाबा बागनाथ मंदिर की ज्योति से होती है. इस बार भी लखनऊ पर्वतीय महापरिषद के आयोजन कमेटी के धार्मिक प्रकोष्ठ के श्रद्धालु बागेश्वर के बागनाथ मंदिर से दिव्य ज्योति लेकर रवाना हो गए हैं. आगामी 15 जनवरी से होने जा रहे मेले का शुभारंभ बागनाथ की इसी ज्योति से होगा.

बागनाथ मंदिर बागेश्वर

लखनऊ उत्तरायणी मेले में उत्तराखंड की संस्कृति और लोक कला का प्रचार-प्रसार किया जाता है. पिछले 18 सालों से पर्वतीय महापरिषद उत्तरायणी मेले का आयोजन कर रही है. साल 2016 से आयोजकों ने बाबा बागनाथ से ज्योति ले जाकर मेले की शुरुआत करने की परंपरा शुरू की, जो आज तक भी जारी है. बागनाथ मंदिर कमेटी के संरक्षक रतन सिंह रावल ने कहा कि उत्तरायणी मेले में बागेश्वर का विशेष स्थान है. ये अच्छी बात है कि लखनऊ में होने वाले मेले में भी उत्तराखंड की संस्कृति और लोक कला का प्रचार-प्रसार किया जाता है.
ये भी पढ़ें:उत्तरायणी मेले में लोक गायिका माया उपाध्याय से छेड़े सुरों के तार, जमकर झूमे दर्शक

इस बार आयोजक कमेटी के धार्मिक प्रकोष्ठ के पंडित अमित कुमार अवस्थी और पंकज कपिल, ज्योति लेने आज बागेश्वर पहुंचे. बागनाथ मंदिर प्रबंधन समिति ने उनका स्वागत किया. सुबह सरयू नदी के पावन जल में स्नान कर बाबा बागनाथ के दर्शन के बाद उन्होंने मंदिर के भीतर जलने वाले मुख्य दीपक से ज्योति ली. ज्योति को शीशे के बॉक्स में सुरक्षित रखकर लखनऊ ले गए.

लखनऊ में बाबा बागनाथ का प्रतीकात्मक मंदिर भी बनाया जाता है. जिसमे लोग बाबा बागनाथ मंदिर की वहीं पूजा कर पाएंगे. बाबा बागनाथ की यह दिव्य ज्योति 14 जनवरी की शाम को लखनऊ पहुंचेगी, जो शुभारंभ के बाद मेला समापन तक अखंड रूप से जलती रहेगी. मेला समापन के बाद ज्योति को समीप के मंदिर में स्थापित कर दिया जाएगा.

ABOUT THE AUTHOR

...view details