बागेश्वर:उत्तरायणी मेले में लोहाघाट की कढ़ाहियां आज भी आधुनिक युग के बर्तनों को टक्कर दे रही हैं. आज भी पहाड़ी क्षेत्रों में लोहे के बर्तनों में भोजन बनाने की परंपरा है. उत्तरायणी मेले में लोहाघाट की बनी कढ़ाहियों की अत्यधिक मांग है. गौरतलब है कि पिछले 25 से 30 सालों से लोहाघाट के व्यापारी मेले में पहुंच रहे हैं. हालांकि उचित बाजार और व्यवस्था नहीं मिलने से व्यपारियों की संख्या में कमी आई है. जहां पहले लोहाघाट से 50 व्यापारी आते थे, अब वहीं 5 व्यापारी ही मेले में लोहे से बने बर्तनों का व्यापार करने पहुंचे हैं.
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बता दें कि लोहाघाट की लोहे से बनी कढ़ाहियों की मांग उत्तराखंड में ही नहीं बल्कि भारत के अन्य राज्यों में भी है. उत्तरायणी मेले में आए लोहाघाट के व्यापारी महेश राम ने बताया कि वह पिछले 30 सालों से मेले में लोहे की कढ़ाहियों का व्यापार करते आ रहे हैं. आधुनिकता के इस दौर में आज भी लोहे के बर्तनों की मांग कम नहीं हुई है. स्थानीय लोगों के साथ-साथ बाहर से आए मेलार्थी और पर्यटक लोहे के बर्तन खरीद रहे हैं. उन्होंने बताया कि लोहे से भरपूर मात्रा में आयरन मिलता है.