बागेश्वर:देश में ऑनलाइन शिक्षा पर जोर दिया जा रहा है. उत्तराखंड के पहाड़ में आज भी कई ऐसे गांव हैं, जो आज भी संचार सुविधा से महरूम हैं. जनपद के 1500 से अधिक आबादी वाले गांव जगथाना में किसी भी कंपनी का मोबाइल नेटवर्क नहीं है. लोगों को अपनों से संपर्क करने के लिए नेटवर्क की तलाश में 10 से 15 किमी. की दूरी तय करनी पड़ती है.
कपकोट ब्लॉक की कनलगढ़ घाटी के अंतिम गांव जगथाना में करीब 600 परिवार निवास करते हैं. जिला बनने के 23 वर्ष बीत जाने के बाद भी गांव संचार सुविधा से वंचित है. गांव में आते ही लोगों के मोबाइल शोपीस बन जाते हैं. ग्रामीणों को मोबाइल पर बात करने के लिए सिग्नल की तलाश में ऊंची पहाड़ियों का रुख करना पड़ता है.
ऑनलाइन शिक्षा से महरूम जगथाना गांव के बच्चे. ग्रामीणों ने की गांव में मोबाइल टावर लगाने की मांग
ग्रामीणों का कहना है कि उन्होंने कई बार जनप्रतिनिधियों और प्रशासन को समस्या से अवगत कराया, लेकिन लेकिन समस्या का हल नहीं निकाला गया. अब गांव के कुछ युवाओं ने सामाजिक कार्यकर्ता गंगा सिंह बसेड़ा के नेतृत्व में कुछ दिनों पहले जियो के जिला कार्यालय में राज्य समन्वय अधिकारी के नाम ज्ञापन भेजकर गांव में मोबाइल टावर स्थापित करने की मांग की है.
क्षेत्र की जिला पंचायत सदस्य रेखा देवी ने बताया कि पिछले वर्ष से कोरोना काल में बाहरी जनपदों और राज्यों में रहने वाले लोग घर आए हैं. ऐसे में उनके बच्चों की होने वाली ऑनलाइन पढ़ाई बाधित हो रही है. वहीं कई लोग ऑनलाइन काम भी कर रहे हैं. ऐसे में गांव में संचार सुविधा का अभाव उनके लिए परेशानी का सबब बना हुआ है.
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जो लोग आर्थिक रूप से सक्षम हैं वो तो जिला मुख्यालय में किराए का कमरा लेकर काम चला रहे हैं. अन्य लोगों की परेशानी जस की तस है. गांव के सेना और अन्य बाहरी संस्थानों में कार्यरत युवाओं के माता-पिता भी उनसे फोन पर बात नहीं कर सकते हैं. ग्रामीण अभी तक सिग्नल के इंतजार में हैं.