बागेश्वरःजिला विकास प्राधिकरण को हटाने की मांग को लेकर आंदोलन जारी है. प्राधिकरण हटाओ संघर्ष समिति ने पहाड़ से प्राधिकरण को स्थगित नहीं, बल्कि खत्म करने की मांग की है. प्रेस वार्ता में समिति ने प्राधिकरण पर सवाल उठाते हुए इसके नुकसान भी गिनाए.
अल्मोड़ा नगर पालिकाध्यक्ष और प्राधिकरण हटाओ संघर्ष समिति के अध्यक्ष प्रकाश जोशी का कहना है कि सरकार ने पालिका का हक छीनकर प्राधिकरण को दिया है. नक्शे पास करना आदि पालिका के पास थे. उससे पालिका की आय होती थी, लेकिन अब ऐसा नहीं हो रहा है. बगैर लेन-देन के यहां कोई भी काम नहीं हो रहा है. साथ ही कहा कि उनके आंदोलन के बाद पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह ने भी माना कि यह भ्रष्टाचार को बढ़ावा दे रहा है.
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प्रकाश जोशी ने कहा कि कानून धरातलीय स्थिति और भौगोलिक स्थिति को ध्यान में रखकर बनना चाहिए. प्राधिकरण लागू करते समय पहाड़ की भौगोलिक स्थिति पर ध्यान नहीं दिया गया. उन्होंने कहा कि प्राधिकरण स्थगित होने से यह अवैध वसूली का जरिया बना हुआ है. सरकार ने विनियमित क्षेत्र को छोड़कर अन्य स्थानों से प्राधिकरण स्थगित करने की बात की थी. उसके बाद अवैध निर्माण बढ़ा है.
जोशी ने कहा कि 72वां संविधान संशोधन ग्राम पंचायतों के उन्नयन और 74वां संशोधन नगर पालिकाओं की मजबूती के लिए बना था. साथ ही कहा कि सरकार संविधान विरोधी काम कर रही है. जिससे नगर पंचायत और नगर पालिकाएं कमजोर हो गई हैं. ऐसे में प्राधिकरण को जबरदस्ती नहीं थोपना चाहिए. इसे खत्म करना चाहिए.
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वहीं, प्राधिकरण हटाओ मोर्चा बागेश्वर के पंकज पांडे ने कहा कि क्षेत्रीय विधायक चंदन रामदास ने बीते एक चैनल पर बयान दिया. जो शर्मशार करने वाला है. उन्होंने कहा कि विधायक को यह मालूम नहीं है कि बागेश्वर महायोजना कब लागू हुई. प्राधिकरण के कारण नगर में दो लोगों की मौत हुई, लेकिन वो इसे मानने से भी इंकार कर रहे हैं. मोर्चा के रमेश कृषक पांडे ने कहा कि विधायक ने अपने बयान पर माफी मांगनी चाहिए.