बागेश्वर: हिमालय दर्शन के लिए मशहूर अनासक्ति आश्रम उत्तराखंड राज्य के एक खूबसूरत छोटे से स्टेशन कौसानी में स्थित है. साथ ही यहां आसपास चाय के बागान और प्राचीन मंदिर भी स्थित हैं. कौसानी वो जगह है जिसकी खूबसूरती पर राष्ट्रपिता महात्मा गांधी मोहित हो गए थे और इसे भारत का स्विटजरलैंड कहा था. उस दौरान महात्मा गांधी के लिए बनाया गया विश्राम गृह आज अनासक्ति आश्रम के नाम से जाना जाता है.
कुमाऊं का अनासक्ति आश्रम. प्राकृतिक सौंदर्य और रमणीक स्थान पर बना यह आश्रम बापू के जिला भ्रमण के दौरान प्रवास स्थली बना. आज यह आश्रम उनकी कई यादों को तस्वीरों में समेटे हुए है. इस आश्रम के जीर्णोद्धार के लिए राज्य सरकार ने 2 करोड़ 98 लाख की धनराशि स्वीकृत की है. जिससे आश्रम में बागेश्वरी चरखा समेत अन्य चरखों को भी सहेज कर रखा जा सके.
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बता दें कि अनासक्ति आश्रम के जीर्णोद्धार का कार्य जोरशोर से चल रहा है. 2 करोड़ 98 लाख की लागत से आश्रम का सुधारीकरण किया जा रहा है. आश्रम के बगल में ही एक भव्य भवन का निर्माण किया जाना है. जिसमें गांधी जी के चरखों को लगाया जाएगा.
गांधी स्मारक निधि के सदस्य कृष्ण सिंह बिष्ट ने बताया कि गांधी जी ने पूरे भारत में स्वदेसी अपनाओ का नारा दिया था. जिसके लिए उन्होंने खुद चरखा चला कर खादी वस्त्रों के निर्माण पर बल दिया था. गांधी जी की इसी विचारधारा को आगे बढ़ाने के लिए अनासक्ति आश्रम में गांधी आश्रम की स्थापना की जाएगी. जिसमें उनके द्वारा ऊन कताई के लिए प्रयोग किए गए चरखों को रखा जाएगा. साथ ही यहां खादी वस्त्रों के निर्माण की भी योजना है.
वर्तमान में यहां के संग्रहालय में उनके जीवनकाल के 150 श्वेत श्याम छायाचित्र मौजूद हैं, जो यहां आने वालों को उनके जीवन को जानने, समझने और महसूस करने का मौका देते हैं.