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चंद राजा समझते थे नौलों की अहमियत, सरकार की उदासीनता से बने जर्जर

अल्मोड़ा के कई क्षेत्रों में पेयजल की समस्या देखने को मिलती है, लेकिन इस समस्या से निजात पाने के लिए अगर यहां प्राचीन काल से बने नौलों का जीर्णोद्धार किया जाए तो पानी की किल्लत दूर हो सकती है.

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Published : Oct 10, 2020, 4:23 PM IST

Updated : Oct 10, 2020, 6:11 PM IST

अल्मोड़ा
अल्मोड़ा में नौलों का जीर्णोद्धार

अल्मोड़ा:जिले में नगर क्षेत्र से लेकर ग्रामीण क्षेत्रों तक पानी की किल्लत लंबे समय से बनी हुई है. एक जमाने में अल्मोड़ा शहर में सैकड़ों प्राकृतिक जल स्रोत नौला पेयजल व्यवस्था का मुख्य आधार थे, लेकिन उपेक्षा के कारण धीरे धीरे अधिकांश नौले लुप्त होते गए. वर्तमान में मौजूद दर्जनों नौले बदहाल स्थिति में हैं. जिनके सुधारीकरण के लिए कोई कार्य नहीं हुआ है. अगर इन बदहाल नौलों की सुध ली जाय तो क्षेत्र में पानी की किल्लत को दूर हो सकती है.

नौलों के जीर्णोद्धार से दूर हो सकती है पानी की किल्लत

बता दें कि अल्मोड़ा नगर को 15वीं शताब्दी में चंद वंशीय राजाओं ने बसाया था. चंद वंशीय राजाओं ने उस वक्त यहां की प्राकृतिक जल स्रोतों को संरक्षित कर नौले बनाये थे. ये नौले यहां के लोगों के पेयजल का मुख्य आधार हुआ करते थे. अल्मोड़ा नगर पालिका के अध्यक्ष प्रकाश चंद्र जोशी बताते हैं कि शहर और आसपास के क्षेत्रों में एक जमाने मे चंद वंशीय राजाओं के बनाये 365 नौले हुआ करते थे. लोग इन नौलों का ही पानी उपयोग में लाते थे, लेकिन वर्तमान में इन नौलों की बदहाल स्थिति और अतिक्रमण के चलते ये अपना अस्तित्व खोते गए.

अल्मोड़ा में नौलों का जीर्णोद्धार
चंद वंशीय राजाओं ने प्राकृतिक जल स्रोतों को संरक्षित कर नौले बनाये थे

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उन्होंने बताया कि विगत 6 वर्ष पूर्व अल्मोड़ा नगर व आसपास के क्षेत्रों में नौलों की खोज को लेकर एक सर्वे किया गया था, जिसमें यह सामने आया कि वर्तमान में शहर क्षेत्र में करीब 50 नौले ही रह गए हैं. इनमें से आधा दर्जन नौले तो ठीक स्थिति में है, लेकिन तीन दर्जन नौले काफी बदहाल स्थिति में हैं. जिनके जीर्णोद्धार करने की आवश्यकता है, जिससे यहां पेयजल की कमी को पूरा किया जा सके. इन बदहाल नौलों को ठीक करने के लिए कई बार सरकार से भी मांग की जा चुकी है, लेकिन अभी भी दर्जनों नौले बदहाल स्थिति में हैं.

Last Updated : Oct 10, 2020, 6:11 PM IST

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