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पहले भी चेताया, पर समस्या जस की तस, इस बार मतदान कर सड़क निर्माण की लगाई गुहार - बुजुर्ग मतदाताओं को पीठ पर लाने को मजबूर ग्रामीण

गांव में सड़क निर्माण न होने के चलते ग्रामीण बुजुर्ग और असहाय मतदाताओं को कंधे पर लाने को मजबूर हैं. इसी के साथ ग्रामीणों ने सड़क निर्माण की मांग करते हुए प्रत्याशियों को वोट दिए.

बुजुर्ग मतदाताओं को पीठ पर लाने को मजबूर ग्रामीण.

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Published : Oct 5, 2019, 11:10 PM IST

सोमेश्वर: विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत सैजारी गांव तक सड़क का निर्माण न होने के चलते ग्रामीण बुजुर्ग और शारीरिक रूप से कमजोर मतदाताओं को डोली, पीठ पर लादकर मतदान केंद्रों तक पहुंचे. इस जटिल समस्या को लेकर ग्रामीण कई बार आंदोलन कर चुनाव का बहिष्कार भी कर चुके हैं. लेकिन हालात जस के तस बने हुए हैं.

बुजुर्ग मतदाताओं को पीठ पर लाने को मजबूर ग्रामीण.

पिछले आम चुनाव में 'रोड नहीं तो वोट नहीं' की राह पर चलने वाले लगभग आधा दर्जन गांव के मतदाता पंचायत चुनाव में वोट देने तो पहुंचे, लेकिन मतदान के समय भी ग्रामीण सड़क न होने का दुखड़ा रोते नजर आए. इसके चलते कई बुजुर्ग और शारीरिक रूप से कमजोर लोग डोली या पीठ पर सवार होकर मतदान केंद्र तक पहुंचे. क्षेत्र के भेटा, बड़सीला और तीताकोट में सबसे अधिक मतदाताओं को ग्रामीण डोलियों, पीठ पर, कुर्सी में लादकर कई किलोमीटर दूर मतदान केंद्रों तक लाए गए.

बता दें कि सोमेश्वर विधानसभा क्षेत्र के भीम बाजार में आजादी के 7 दशक बाद भी सड़क का निर्माण नहीं हो सका. इस कारण वहां के ग्रामीण 5 किलोमीटर तक पैदल चलने हो मजबूर हैं. इस समस्या को लेकर ग्रामीणों ने पिछले आम चुनाव में मतदान का बहिष्कार किया था. लेकिन, समस्या जस की तस बनी हुई है. इस बार ग्रामीणों ने मतदान के साथ ही सड़क न होने की समस्या को प्रमुखता से उठाया.

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तीताकोट के पूर्व प्रधान सुंदर सिंह राणा ने बताया कि वो अपनी 98 वर्षीय माता कुंती देवी को वोट डलवाने के लिए पीठ पर लादकर लाए हैं. विकास के नाम पर क्षेत्र में एक भी सड़क नहीं बनना इस क्षेत्र के लिए दुर्भाग्य की बात है. इस क्षेत्र में ग्राम पंचायत तीताकोट, मेलटी, धौलरखोला, सैजरी, भेटा, बड़सीला आदि गांव आज भी वोटरों, मरीजों को डोली के जरिए ढ़ोने को मजबूर हैं.

पूर्व प्रधान सुधीर टम्टा ने बताया कि गांव से लगभग 2.5 किलोमीटर दूर बुजुर्ग और असहाय मतदाताओं को पीठ पर या कुर्सी के सहारे बांधकर लाना उनकी मजबूरी है. इसका प्रमुख कारण क्षेत्र में सड़क का न बनना है. इसके लिए ग्रामीण कई बार आंदोलन भी कर चुके हैं.

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