अल्मोड़ा: लोकसभा चुनाव 2019 में उत्तराखंड में क्षेत्रीय दलों की सक्रियता नगण्य ही नजर आई. इस अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि जिले में बीजेपी कांग्रेस के बाद तीसरे नंबर मतदाताओं ने नोटा के विकल्प को ही चुना. ऐसे में उत्तराखंड क्रांति दल जिसने पृथक राज्य उत्तराखंड के लिए संघर्ष किया. वह अल्मोड़ा लोकसभा सीट में छठवें स्थान पर रहा और यहां पर 15 हजार 505 मत नोटा में पड़े जबकि, यूकेडी उम्मीदवार एल आर्य को इस सीट पर मात्र 4 हजार 60 मत ही मिले.
2022 के विधानसभा चुनाव में विकल्प बनना चाहती है यूकेडी. पढ़ें-वीकेंड को बनाना चाहते हैं खास तो चले आइए नैनीताल, प्राकृतिक आकर्षणों से घिरा है ये शहर
अल्मोड़ा लोकसभा सीट से यूकेडी के उम्मीदवार केएल आर्य का चुनाव नतीजों को लेकर कहना है कि राज्य गठन के बाद पहली बार उत्तराखंड क्रांति दल ने सभी लोकसभा में अपने उम्मीदवार उतारे थे, लेकिन उत्तराखंड क्रांति दल के नाम से मिलते जुलते अन्य क्षेत्रीय दलों दलों की सक्रियता से यहां मतों का विभाजन हो गया और जिसका नुकसान यूकेडी को उठाना पड़ा.
हालांकि, केएल आर्य लोकसभा उम्मीदवारी को लेकर कहते हैं कि देश की राजनीति करना यूकेडी का मकसद नहीं, हां इतना जरूर है कि ये सिर्फ आगाज था. पार्टी का असली मकसद उत्तराखंड में गांव से लेकर विधानसभा तक एक सशक्त और सक्रिय नेतृत्व पैदा करना है और इसके लिए यूकेडी ने कमर कस ली है. क्योंकि, उत्तराखंड राज्य यूकेडी के अथक संघर्षों की बदौलत ही अस्तित्व में आया है. उनका कहना है कि आगामी पंचायत चुनाव में यूकेडी राज्यभर में अपने उम्मीदवार खड़ा करेगी. उसके बाद उनका मुख्य फोकस 2022 विधानसभा चुनाव है. जिसमें जनता को बीजेपी-कांग्रेस के अलावा यूकेडी भी विकल्प के रूप में दिखे.