अल्मोड़ा:अंतरराष्ट्रीय पर्वत दिवस के मौके पर जीबी पंत पर्यावरण संस्थान में आयोजित तीन दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन का आज समापन हो गया है. इस राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन हिमालयी और पर्वतीय क्षेत्रों में जलवायु परिवर्तन के असर पर चिंता व्यक्त करने के लिए किया गया था. इस सम्मेलन में हिमालयी क्षेत्रों में कार्य कर रहे देश भर के 15 बड़े संस्थानों ने हिस्सा लिया है. जबकि 30 संस्थानों के एक्सपर्ट प्रतिनिधि सेमिनार में मौजूद रहे. वहीं देशभर और नेपाल से 120 हिमालय एक्सपर्ट इस सम्मेलन में मौजूद रहे.
वैज्ञानिक ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेसन जयंत बंदोपाध्याय ने बताया कि जिस तेजी से दुनिया में ग्रीन हाउस गैसों का उत्सर्जन बढ़ रहा है. वह हिमालय और पर्वतीय क्षेत्रों के लिए खतरे की घंटी है. यदी समय रहते इस सब पर रोक नहीं लगाई तो इसके परिणाम भयावह होंगे. हिमालय हो या दुनिया का कोई भी पहाड़ी क्षेत्र सबके लिए खतरा बढ़ता ही जा रहा है. उन्होंने बताया कि ग्रीन हाउस उत्सर्जन में आ रही बढ़ोतरी के कारण इसका सबसे ज्यादा असर पहाड़ी क्षेत्रों में हो रहा है. जितना तामपान मैदानी क्षेत्रों में बढ़ेगा उससे डेढ़ गुना ज्यादा तामपान पहाड़ी क्षेत्रों में बढेगा.