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चितई के ग्वेल देवता की शरण में पहुंचे किशोर उपाध्याय के समर्थक, लगाई न्याय की गुहार - Kishore Upadhyay took refuge in Gwal Devta

उत्तराखंड विधानसभा चुनाव 2022 के लिए 14 फरवरी को मतदान है. इस दौरान कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष किशोर उपाध्याय इन दिनों राजनीतिक रूप से खाली हैं. कांग्रेस उन्हें पार्टी के सभी पदों से हटा चुकी है. इससे आहत किशोर उपाध्याय के समर्थक भगवान की शरण में हैं. किशोर के समर्थकों ने अल्मोड़ा में चितई के ग्वेल्ज्यू देवता से न्याय की गुहार लगाई है.

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किशोर उपाध्याय के लिए प्रार्थना

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Published : Jan 20, 2022, 10:13 AM IST

Updated : Jan 20, 2022, 10:25 AM IST

अल्मोड़ा:कभी उत्तराखंड कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष रहे किशोर उपाध्याय इन दिनों बेचारे बने हुए हैं. दरअसल कांग्रेस ने उनसे पार्टी के सभी पद छीन लिए हैं. इस तरह किशोर उपाध्याय इन दिनों राजनीतिक रूप से पैदल हैं. किशोर उपाध्याय के समर्थक अपने नेता का दर्द सहन नहीं कर पा रहे हैं. उनके समर्थकों ने अल्मोड़ा में चितई के ग्वेल देवता मंदिर में गुहार लगाई है. गोलू देवता को न्याय का देवता माना जाता है.

गोल्ज्यू हैं न्याय के देवता: कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष किशोर उपाध्याय को कांग्रेस पार्टी से बाहर किये जाने के बाद उनके समर्थकों में काफी मायूसी है. किशोर उपाध्याय के समर्थकों ने अल्मोड़ा के चितई स्थित प्रसिद्ध न्याय के देवता गोल्ज्यू के मंदिर में पहुंचकर किशोर उपाध्याय के लिए न्याय की गुहार लगाई है. वनाधिकार आंदोलन से जुड़े व कांग्रेस के संस्कृति प्रकोष्ठ के प्रदेश संयोजक आशीर्वाद गोस्वामी के नेतृत्व में किशोर उपाध्याय के समर्थकों ने चितई गोल्ज्यू मंदिर में बाकायदा अर्जी टांगकर न्याय की गुहार लगाई.

किशोर उपाध्याय के लिए प्रार्थना


किशोर उपाध्याय के खिलाफ षडयंत्र का आरोप: इस मौके पर आशीर्वाद गोस्वामी ने कहा कि कांग्रेस पार्टी किशोर उपाध्याय के साथ न्याय करे. उनकी 44 साल की सेवाओं का पार्टी उन्हें इनाम दे. न कि उनकी उपेक्षा करे. उनको अहम जिम्मेदारी सौंपी जाये. जिसने भी उनके साथ षडयंत्र किया है, उसके खिलाफ उचित कार्रवाई करे.

आशीर्वाद गोस्वामी ने कहा कि किशोर उपाध्याय ने हमेशा पार्टी को अपना महत्वपूर्ण समय दिया है. इससे पहले उनको तीन बार राज्यसभा जाने से रोका गया. राहुल गांधी की रैली में मंच नहीं दिया गया. यहां तक कि 2017 की हार का ठीकरा भी उनके सर में फोड़ा गया. आज जब वह जनता के हकहकूक की लड़ाई लड़ रहे हैं, वनाधिकार आंदोलन के तहत तो उनके ऊपर ये इल्जाम लगाया गया कि वो दूसरी पार्टियों से मिल रहे हैं जो कि बेबुनियाद आरोप हैं.

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वनाधिकार आंदोलन सर्वदलीय आंदोलन है. इसमें सभी दलों का समर्थन जरूरी है. उनको लेकर किशोर सभी दलों के लोगों से मिल रहे हैं. किशोर उपाध्याय को न्याय मिले इसको लेकर गोल्ज्यू के दरबार में न्याय की गुहार लगाई है. उत्तराखंड में गोलू देवता या गोल्ज्यू देवता को न्याय का देवता माना जाता है. जब व्यक्ति को संस्थाओं से न्याय नहीं मिलता तो वो गोल्ज्यू के दरबार में हाजिरी लगाता है और कहा जाता है कि उसे गोल्ज्यू जरूर न्याय दिलाते हैं. किशोर के समर्थकों को उम्मीद है कि उत्तराखंड विधानसभा चुनाव 2022 में उनके नेता को जरूर बड़ी जिम्मेदारी मिलेगी.

Last Updated : Jan 20, 2022, 10:25 AM IST

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