अल्मोड़ा: प्रदेश में सभी राजनीतिक दल 2022 विधानसभा चुनाव की तैयारियों में जुटे हैं. राष्ट्रीय दलों के साथ क्षेत्रीय दल भी हाईटेक होकर जनता से जुड़ाव की कोशिश भी कर रहे हैं. वहीं, क्षेत्रीय पार्टियां अपने-अपने स्तर से चुनाव की रणनीतियों और चुनौतियों से निपटने के लिए ब्लूप्रिंट बनाने में लगी है. लिहाजा, आने वाले विस. चुनाव से लेकर प्रदेश ज्वलंत मुद्दों पर ईटीवी भारत ने क्षेत्रीय दल उत्तराखंड परिवर्तन पार्टी (उपपा) के केंद्रीय अध्यक्ष पीसी तिवारी से बात की. जिसमें उन्होंने खुलकर सारे सवालों के जवाब दिए.
राज्य आंदोलनकारी रहे और उत्तराखंड परिवर्तन पार्टी के केंद्रीय अध्यक्ष पीसी तिवारी से पहला सवाल पूछा कि क्या अलग राज्य की अवधारणा पूरी हुई. जिस पर पीसी तिवारी ने कहा कि हमारे सपनों का उत्तराखंड नहीं बन सका है. उत्तराखंड आंदोलन ने राज्य को राजनीतिक और सामाजिक रूप से जोड़ा था. लेकिन राज्य बनने के बाद सब बिखर गया. पीसी तिवारी ने बीजेपी और कांग्रेस को आड़े हाथ लेते हुए कहा कि वो हमेशा बूथ पर कब्जा करने की प्लानिंग करते हैं. विकास कार्य नहीं करने के कारण इन पार्टियों को बूथ को कब्जा की रणनीति बनानी पड़ रही है.
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पांच साल बूथ को कब्जा करने की सोच के कारण ही उत्तराखंड के गांव भुतहा हो गए हैं. उत्तराखंड बनने के 21 साल बात सरकारी आंकड़ों के अनुसार ही 1600 गांव घोस्ट विलेज बन गए हैं. इनकी सुध तो कोई ले ही नहीं रहा है. नैनीसार जैसा बड़ा भू-आंदोलन करने वाले पीसी तिवारी से जब दूसरा सवाल भू-कानून की मांग को लेकर पूछा गया तो उन्होंने कहा कि हम तो छात्र जीवन से ही इन मांगों को मुखरता से उठाते रहे हैं.
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बिंदुखत्ता और वनगांव जैसे आंदोलनों में हम लोगों ने हिस्सा लिया. राज्य बनने के बाद हिमालय की विशिष्ट रचना का ध्यान ही नहीं रखा गया. पीसी तिवारी ने कहा कि अगर उत्तरी ध्रुव और दक्षिणी ध्रुव के बाद कोई तीसरा वाटर टावर है तो वो हिमालय है. हिमालय को कब्जाने के लिए पूंजीपति हर तिकड़म लगा रहे हैं. हिमालय को अगर बचा कर नहीं रख सकते तो इसका मतलब है हम देश और दुनिया के लोगों के साथ धोखा कर रहे हैं.
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