अल्मोड़ा: सरकार एक ओर गांव को मूलभूत सुविधाएं मुहैया कराने के दावे करती है. वहीं, जमीनी हकीकत ठीक उलट है. जिसकी बानगी अल्मोड़ा जिले के सल्ट में देखने को मिली. जहां एक बीमार युवक को ग्रामीण डोली से हॉस्पिटल ले जाते हैं, लेकिन रास्ते में ही मरीज दम तोड़ देता है.
आजादी के सात दशक बाद भी प्रदेश के कई गांव संपर्क मार्ग से नहीं जुड़ पाए हैं. वहीं अल्मोड़ा जिले के सल्ट क्षेत्र में सड़क के अभाव में एक बीमार युवक को समय पर इलाज नहीं मिल पाया, जिस कारण उसकी मौत हो गयी. अचानक तबीयत बिगड़ने पर ग्रामीण युवक को डोली के सहारे पैदल तीन किमी दूर स्वास्थ्य केंद्र ले जा रहे थे, लेकिन गांव के ऊबड़-खाबड़ रास्ते पर समय अधिक लगने के कारण आधे रास्ते मे ही युवक ने दम तोड़ दिया. बीमार की मौत ने एक बार फिर सरकार के विकास के दावों की पोल खोल दी है.
बीमार युवक की बीच रास्ते में हुई मौत ये भी पढ़ें: उत्तराखंड के VIP पर कोरोना 'अटैक', अब तक संक्रमित हो चुके हैं 14 माननीय
प्राप्त जानकारी के अनुसार सल्ट ब्लॉक के ग्राम सभा मुसोली के कपसोड़ी तोक निवासी खीम सिंह (35) अपने ननिहाल स्याल्दे ब्लॉक के तोलबुधानी गांव आया था. शनिवार दोपहर वह अपनी बड़ी बहन मीना देवी व भांजे के साथ घर लौटने लगा. तभी उसे सांस लेने में तकलीफ होने लगी. बहन ने जिसकी जानकारी ग्रामीणों को दी. जिसके बाद ग्रामीणों ने डोली की व्यवस्था की, ताकि गांव से तीन किमी दूर रतखाल बाजार स्थित प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र तक मरीज को ले जाया जा सके.
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बता दें कि तोलबुधानी गांव के ग्रामीण दशकों से सड़क की मांग करते आ रहे हैं. लेकिन अभी तक लोगों को सड़क तक नसीब नहीं हो पाई है. साल 2014 में कांग्रेस सरकार ने रतखाल तक शहीद हरिसिंह मोटरमार्ग की घोषणा की, जिसके बाद वर्तमान बीजेपी सरकार में इसका शासनादेश भी हुआ. मगर सड़क के लिए वन भूमि का पेंच दूर नहीं किया जा सका. जिस कारण गांव मार्ग से नहीं जुड़ पाया. जिससे ग्रामीणों में सरकार के खिलाफ खासा रोष है. पूर्व जिला पंचायत सदस्य नारायण सिंह ने कहा कि लोग आज भी सड़क सुविधा से वंचित हैं. जिससे लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है.