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जीबी पंत संस्थान के वैज्ञानिकों ने किया कमाल, कोरोना संक्रमण को रोकने वाला कंपाउंड खोजा

जीबी पंत संस्थान के वैज्ञानिकों और शोधार्थियों की टीम ने ऐसे दो कम्पाउंड खोजे हैं जो कोरोना वायरस के संक्रमण के प्रसार को रोकने में कारगर हो सकते हैं. अब टीम इसका अब इसका क्लीनिकल ट्रायल और पेटेंट कराए जाने की तैयारी कर रही है.

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जीबी पंत संस्थान के वैज्ञानिकों की टीम ने किया कमाल

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Published : Nov 26, 2020, 7:20 PM IST

Updated : Nov 26, 2020, 9:39 PM IST

अल्मोड़ा: कोरोना वायरस की रोकथाम को लेकर पूरी दुनिया के वैज्ञानिक अपने-अपने प्रयोगों में जुटे हैं. इसी कड़ी में अल्मोड़ा के जीबी पंत पर्यावरण एवं विकास संस्थान के वैज्ञानिकों व शोधार्थियों ने कोरोना के विरुद्ध दो ऐसे कंपाउड की खोज की है, जो कोरोना संक्रमण को रोकने में काफी हद तक कारगर है. संस्थान के शोधार्थियों और वैज्ञानिकों ने मिलकर इन कंपाउंडों की खोज की है. जिससे जुड़ा हुआ शोध लंदन के जनरल साइंस पत्रिका में भी प्रकाशित हुआ है.

शोध पत्र की कॉपी.

जीबी पंत संस्थान के इनवायरमेंट इनफॉरमेशन सेंटर के प्रोगाम मैनेजर व रिसर्चर महेशानंद ने बताया कि कोविड 19 वायरस के अंदर एक खास तरह का एंजाएम पाया जाता है. जिसे 3-सीएलसी-प्रो यानि 3-काइमोट्रिपसिन लाइक प्रोटिएज नाम से जाना जाता है. उन्होंने बताया कि इस एंजायम के कारण ही कोरोना वायरस का संक्रमण फैलता है. अगर, 3-सीएलसी प्रो एंजायम को खत्म कर दिया जाए तो कोरोना वायरस के संक्रमण को कम किया जा सकता है.

जीबी पंत संस्थान के वैज्ञानिकों की टीम ने किया कमाल

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इसी को लेकर उनकी टीम ने एक शोध किया. जिसमें 1528 कंपाउंडों का एक एंटी एचआईवी कंपाउंड पर स्टडी की गई. इस पर काफी कम्प्यूटराइज्ड स्क्रीनिंग की गई. इसमें से आखिरकार दो ऐसे कंपाउंड निकल कर सामने आए जो इस 3-सीएलसी प्रो-एंजायम को खत्म कर सकते हैं.

शोध पत्र की कॉपी.

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अब इसका क्लीनिकल ट्रायल और पेटेंट कराए जाने की जरूरत है. इससे कोरोना को रोकने के लिए वैक्सीन बनाई जा सकती है. इस शोध को प्रकाशित करने वाली टीम के सदस्यों में डॉ. महेशानंद, डॉ. प्रियंका मैती, तुषार जोशी, डॉ. सुभाष चंद्रा और डॉ. जेसी कुनियाल शामिल हैं. संस्थान के निदेशक आरएस रावल ने पूरी टीम को इस शोध के लिए बधाई दी है. वहीं, इस शोध में मुक्तेश्वर स्थित भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान के वायरोलॉजी डिपार्टमेंट के प्रमुख डॉ. एमए रामाकृष्णन और कुमाऊं यूनिवर्सिटी नैनीताल की जैव प्रौधौगिकी विभाग की प्रो. बीना पांडे का भी विशेष सहयोग रहा.

Last Updated : Nov 26, 2020, 9:39 PM IST

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