सोमेश्वर: क्षेत्र के बुजुर्गतम संगीतकार एवं लोक कलाकार 104 वर्षीय मोहन लाल उर्फ 'मोहन उस्ताद' का सोमवार सुबह देहावसान हो गया है. उन्होंने 100 वर्ष की उम्र तक रामलीला मंचन में संगीत दिया. अनेक लोगों को संगीत की शिक्षा दी और 50 से अधिक स्थानों में रामलीला मंचन की शुरुआत की. उनके निधन पर अनेक संगठनों से जुड़े लोगों ने शोक जताया है.
रामलीला संगीत के विशेषज्ञ मोहन उस्ताद का 104 की उम्र में सोमेश्वर में निधन, रंगकर्मियों ने जताया शोक - संगीतकार मोहन लाल का निधन
रामलीला को अपने संगीत से और सुरमई बना देने वाले संगीतकार मोहन लाल उर्फ मोहन उस्ताद का निधन हो गया है. उत्तराखंड के बुजुर्गतम संगीतकार और लोक कलाकार मोहन लाल 104 वर्ष के थे. मोहन उस्ताद ने 50 से अधिक स्थानों पर रामलीला मंचन की शुरुआत की थी. प्रदेश भर के रंगकर्मियों और संस्थाओं ने मोहन लाल के निधन पर शोक जताया है.
संगीतकार एवं रामलीला के उस्ताद सोमेश्वर निवासी 104 वर्षीय मोहन लाल का निधन सोमवार को उनके निवास स्थान सोमेश्वर में हो गया है. मोहन उस्ताद के नाम से विख्यात संगीतकार ने करीब 50 स्थानों पर रामलीला मंचन की नींव रखी. उन्होंने अल्मोड़ा जिले के अलावा कई अन्य जिलों में भी रामलीला मंचन में संगीतकार की भूमिका निभाई. अनेक लोगों को संगीत के तहत हारमोनियम, तबला वादन की शिक्षा भी दी. उनके 3 पुत्रों तथा एक पुत्री का भरापूरा परिवार है. सोमवार को उनका अंतिम संस्कार सोमेश्वर के श्मशान घाट में किया गया. उनके पुत्र गोविन्द लाल ने मुखाग्नि दी. क्षेत्र के अनेक संगठनों से जुड़े लोगों ने यात्रा में सम्मिलित होकर उन्हें श्रद्धा सुमन अर्पित किए.
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उनके निधन पर रामलीला कमेटियों, व्यापार मण्डल, लोक कलाकारों, कांग्रेस, भाजपा, सोमनाथ महावीर रामलीला कमेटी, बौरारौ घाटी विकास संघर्ष समिति सहित अनेक सामाजिक संगठनों से जुड़े लोगों ने श्रद्धांजलि अर्पित की है. बताते चलें कि मोहन उस्ताद के सबसे छोटे पुत्र गोविंद लाल तथा उनके पौत्र हरीश कुमार आज भी अनेक क्षेत्रों की रामलीलाओं में संगीतकार की भूमिका निभाते हैं.