अल्मोड़ाः गोल्डन कार्ड में विसंगतियों को दूर करने की मांग को लेकर गवर्नमेंट पेंशनर्स वेलफेयर आर्गनाइजेशन का धरना 31वें दिन भी जारी रहा. आंदोलनकारी पेंशनर्स का कहना है कि उनकी सहमति के बिना गोल्डन कार्ड के नाम पर कटौती की जा रही है, जिसे लेकर पेंशनर्स में आक्रोश है. साथ ही कहा कि सरकार सुविधाएं देने के बजाय पेंशनर्स की जेब में डाका डाल रही.
गवर्नमेंट पेंशनर्स वेलफेयर आर्गनाइजेशन के पेंशनर्स ने बताया कि योजना लागू करने से पहले सरकार ने प्रचारित किया था कि गोल्डन कार्ड में असीमित सुविधाएं मिलेंगी. योजना लागू होने के बाद हकीकत सभी के सामने आ गई. पूर्व में बिना किसी अंशदान के चिकित्सा प्रतिपूर्ति प्रदान की जाती थी. पेंशनर्स इसे और बेहतर बनाने की मांग कर रहे थे, लेकिन सरकार गोल्डन कार्ड ले आई. जिसमें तमाम विसंगतियां हैं.
गोल्डन कार्ड के विरोध में पेंशनर्स का धरना. ये भी पढ़ेंःगोल्डन कार्ड पर शुल्क लिए जाने का पेंशनर्स ने किया विरोध
आज 31वें दिन आंदोलन को समर्थन देने के लिए पूर्व प्रमुख स्याल्दे गंगा पंचोली समेत कई राजनीतिक और सामाजिक दलों के लोग धरना स्थल पहुंचे. इस मौके पर गंगा पंचोली ने कहा कि पूरे प्रदेश में पेंशनर्स, आशा कार्यकत्रियां, उपनल कर्मचारी, बेरोजगार आदि सभी आंदोलन पर हैं, लेकिन सरकार को आम जनता के सरोकारों से कोई लेना-देना नहीं है. जिसे लेकर भिकियासैंण में पेंशनर्स का धरना जारी है.
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पेंशनर्स वेलफेयर आर्गनाइजेशन के अध्यक्ष तुला सिंह तड़ियाल ने अपने संबोधन में कहा कि सरकार पेंशनर्स के आंदोलन से घबराकर गोल्डन कार्ड के शासनादेश में कुछ संशोधन करने जा रही है, लेकिन उनका आंदोलन गोल्डन कार्ड के नाम पर की जा रही कटौती बंद होने व काटी गई राशि को मय ब्याज वापस करने तक जारी रहेगा. उन्होंने कहा प्रदेश में गोल्डन कार्ड बनाने की प्रक्रिया बंद है. ग्रामीण क्षेत्रों में अभी दस प्रतिशत लोगों के भी कार्ड नहीं बने हैं, लेकिन कटौती बदस्तूर जारी है. दूसरी ओर जिनके गोल्डन कार्ड बन चुके हैं, उन्हें इसका कोई लाभ नहीं मिल रहा है. यह सरासर धोखाधड़ी है.
कैबिनेट की बैठक में नहीं हुई चर्चा:गोल्डन कार्ड पर कैबिनेट में आज चर्चा होने की उम्मीद थी. लेकिन इस पर चर्चा नहीं हुई. चर्चा नहीं होने पर राज्य कर्मचारियों में भारी नाराजगी है. दरअसल राज्य कर्मचारी गोल्डन कार्ड में सुधारीकरण किए जाने की मांग कर रहे थे. कर्मचारियों का कहना है कि गोल्डन कार्ड के लिए उनके वेतन से पैसा काटा जा रहा है, लेकिन कर्मचारियों को सुविधाएं नहीं मिल पा रही हैं. ऐसे में कैबिनेट में इसके सुधारीकरण को लेकर फैसला किया जाना चाहिए था. ताकि कर्मचारियों को गोल्डन कार्ड का बेहतर लाभ मिल सके.