अल्मोड़ा: उत्तराखंड राज्य प्राथमिक शिक्षक संघ ने शिक्षा अधिकारियों के आदेशों पर आक्रोश व्यक्त करते हुए आदेशों को अव्यावहारिक बताया. शिक्षक संघ ने बताया कि विभाग द्वारा उनके प्रशिक्षण का आदेश देना गलत है, जबकि स्कूलों में नया सत्र एक अप्रैल से चलना है. उन्होंने कहा कि विभाग के आदेश से असमंजस की स्थिति पैदा हो गई है. ट्रेनिंग में जाते हैं तो स्कूल बंद हो जाएगा. शिक्षक भवन लक्ष्मेश्वर में हुई बैठक में वक्ताओं ने जिले के शिक्षा अधिकारियों को इसके लिए जिम्मेदार ठहराया.
प्राथमिक शिक्षक संघ ने शिक्षा अधिकारियों के प्रशिक्षण वाले आदेश पर जताया रोष, सरकारी स्कूल बंद करने की बताई सोच - मुख्य शिक्षा अधिकारी
प्राथमिक शिक्षक संघ ने मुख्य शिक्षा अधिकारी द्वारा प्रशिक्षण का आदेश दिए जाने पर नाराजगी जाहिर की है. साथ ही कहा कि एक ओर नया सत्र एक अप्रैल से शुरू हो रहा है, दूसरी और उन्हें ट्रेनिंग के लिए बाध्य किया जा रहा है. ट्रेनिंग में जाने से स्कूलों का कार्य प्रभावित होगा.
जिलाध्यक्ष किशोर जोशी की अध्यक्षता में हुई बैठक में कहा गया कि शिक्षा विभाग के तुगलकी फरमानों के कारण शिक्षकों में रोष है. शैक्षणिक सत्र 2022-23 का वार्षिक परीक्षाफल 31 मार्च यानी आज विद्यालयों में वितरित होना है. उच्च कक्षा में प्रवेश लेने वाले छात्रों को स्थानांतरण प्रमाण पत्र दिया जाना है. उधर प्रबंधन समिति की बैठक की जानी है. दूसरी ओर समग्र शिक्षा परियोजना द्वारा वित्तीय वर्ष के अंतिम क्षणों में विभिन्न मदों में जारी बजट 28 मार्च सायं विद्यालयों के खातों में डाला गया है. जिसका उपभोग 31 मार्च तक किया जाना है. इन सबकी अनदेखी कर इसी दिन जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान अल्मोड़ा की ओर से 31 मार्च से मिशन कोशिश-2 का दो दिवसीय प्रधानाध्यापकों का प्रशिक्षण रखा गया है. जिला मंत्री जगदीश भंडारी ने बताया कि इस संबंध में मुख्य शिक्षा अधिकारी को दूरभाष पर अवगत कराया गया.
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उन्होंने मुख्य शिक्षा अधिकारी के बयान को गैर जिम्मेदाराना बताया. जिलाध्यक्ष किशोर जोशी ने कहा कि एक ओर 1 अप्रैल से नई कक्षाओं में प्रवेश करने हेतु नैनिहाल विद्यालय आते हैं. वहीं दूसरी ओर शिक्षकों को इस प्रकार विद्यालयों से दूर रखना, सरकारी विद्यालयों को बंद करने की सोच नजर आ रही है. ताकि सरकारी योजनाओं का लाभ लोगों को न मिले और छात्रों को प्राइवेट विद्यालयों की ओर जाने को विवश होना पड़े. गिरिजा भूषण जोशी ने कहा कि इस प्रकार के अव्यावहारिक आदेशों का मंतव्य केवल अपने संस्थान का बजट खपाना है. ऐसे आदेशों के चलते विद्यालयों में किसी भी प्रकार की अव्यवस्था उत्पन्न होती है या बजट वापस जाता है तो मुख्य शिक्षा अधिकारी इसके लिए जिम्मेदार होंगे. बैठक में जिला कोषाध्यक्ष मनोज बिष्ट, चन्दन बिष्ट, सुरेन्द्र, प्रकाश जोशी, चन्दन नेगी, पवन, विनोद, हंसा दत्त, सुरेश जोशी, शैलेन्द्र सिंह आदि मौजूद रहे.