अल्मोड़ा:वो कहते हैं न कुछ करने का जज्बा हो तो हर राह आसान हो जाती है, बस इरादों में दम होना चाहिए... इसी कहावत को अल्मोड़ा की रहने वाली प्रीति भंडारी ने चरितार्थ कर दिखाया है. प्रीति भंडारी को तीलू रौतेली पुरस्कार से नवाजा गया. प्रीति को यह पुरस्कार मशरुम के क्षेत्र में किये गये विशेष कार्य के लिए दिया गया. बता दें प्रीति ने एक छोटे से घर में मशरूम का सफल उत्पादन करते हुए इसे महिलाओं के स्वरोजगार का जरिया बनाया. आज वे कई युवाओं और महिलाओं को प्रशिक्षण देकर स्वरोजगार के लिए प्रेरित कर रही हैं.
वीरांगना तीलू रौतेली पुरस्कार के लिए नामित होने के बाद प्रीति ने अपने अनुभवों को साझा किया. जिसमें उन्होंने बताया कि पांच साल पहले उन्होंने मशरूम के क्षेत्र में काम करते हुए स्वरोजगार करने की जिद ठानी थी. जिसके लिए उन्हें कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ा. वे बताती हैं कि पांच साल पहले उन्होंने एक छोटे से कमरे में सिर्फ 20 थैलों से मशरूम उगाने का काम शुरू किया. जिसके लिए पहले उन्होंने प्रशिक्षण लिया, फिर इस दिशा में कदम आगे बढ़ाया.
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उन्होंने कहा शुरुआत में उनके पास अनुभव और संसाधनों का अभाव था. जिसके कारण मशरूम उगाने और उसे बाजार तक पहुंचाने में उन्हें बड़ी परेशानियों का सामना करना पड़ा. मगर बीतते वक्त के साथ धीरे-धीरे चुनौतियों से पार पाते हुए उन्होंने कदम आगे बढ़ाये. पांच साल की कड़ी मेहनत के बाद आज प्रीति तीन जगहों पर मशरूम उगाती हैं. वह बटन और ढिंगरी दोनों ही प्रजाति के मशरूमों का उत्पादन कर रही हैं. वे बताती हैं कि बाजार में इन दोनों की काफी डिमांड है. इसके साथ ही वे मशरूम से अचार भी बनाती हैं. मशरूम के इस अचार की डिमांड दिल्ली जैसे बड़े शहरों में भी होने लगी है.