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प्रगतिशील किसान के प्रयासों से पलायन पर लगी रोक, स्वरोजगार की जगाई अलख

खेती में तमाम समस्याओं के बावजूद ताकुला ब्लॉक के बसौली गांव के प्रगतिशील काश्तकार और पूर्व बीडीसी सदस्य प्रभाकर भाकुनी पिछले 7 वर्षों से खेती का काम कर रहे हैं. भाकुनी खेती के माध्यम से खुद तो पैसे कमाते ही हैं साथ ही उन्होंने गांव में कई अन्य लोगों को भी रोजगार उपलब्ध करवाया है.

प्रगतिशील किसान के प्रयासों से गांवों में रुक रहा पलायन

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Published : Aug 27, 2019, 5:36 PM IST

सोमेश्वर: जंगली जानवर ग्रामीण इलाकों में होने वाली फसलों को चट कर जाते हैं, जिसके कारण किसान आये दिन परेशान रहते हैं. किसानों की महीनों भर की मेहनत को जंगली जानवर पलभर में रौंदकर चले जाते हैं,जिससे किसान खेती से मुंह मोड़ने लगे हैं. वहीं खेती में होते लगातर के नुकसान के कारण कई किसान गांवों से पलायन करने पर मजबूर हैं, वहीं कुछ किसान ऐसे भी हैं जो कि खेती के आधुनिक खेती के तरीकों का इस्तेमाल कर इसे अपनी आजीविका का साधन बना रहे हैं. ऐसी ही कहानी बसौली गांव के प्रगतिशील किसान प्रभाकर भाकुनी की है.

प्रगतिशील किसान के प्रयासों से गांवों में रुक रहा पलायन

खेती में तमाम समस्याओं के बावजूद ताकुला ब्लॉक के बसौली गांव के प्रगतिशील काश्तकार और पूर्व बीडीसी सदस्य प्रभाकर भाकुनी पिछले 7 वर्षों से खेती का काम कर रहे हैं. भाकुनी खेती के माध्यम से खुद तो पैसे कमाते ही हैं साथ ही उन्होंने गांव में कई अन्य लोगों को भी रोजगार उपलब्ध करवाया है. उनके इस काम के लिए के राज्यपाल सहित अनेक विभागों ने उन्हें सम्मानित भी किया है.

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प्रभाकर भाकुनी का कहना है कि आये दिन जंगली जानवर खेती को नुकसान पहुंचाते रहते हैं, जिसकी रोकथाम करना बहुत जरुरी है. वे कहते हैं कि सरकार से किसानों की आर्थिक मदद देनी चाहिए. हर फसल के लिए राशि का निर्धारण किया जाना चाहिए. भाकुनी कहते हैं कि सरकारें पुरानी पद्धति से रबी और खरीफ की फसल के लिए जिन आंकड़ों पर कर्ज दिया जाता है वह ऊंट के मुंह में जीरे के समान हैं.

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भाकुनी का कहना है कि आज के समय में ऑर्गेनिक खेती करने के लिए किसान को आर्थिक मदद की जरूरत होती है लेकिन पैसा न मिलने के कारण वे इसे नहीं कर पाते हैं.भाकुनी अभीतक ऑर्गेनिक खेती के लिए प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना के तहत 40 लोगों को प्रशिक्षण भी दे चुके हैं. इसके साथ ही वे पलायन को रोकने के लिए भी लगातार काम कर रहे हैं. भाकुनी ने बताया कि कृषि विभाग ने उन्हें राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के तहत एकीकृत मॉडल की सहायता दी है.

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उनका कहना है कि पहाड़ों में जमीन की छोटी-छोटी जोत होती हैं जमीन कम होती है इसलिए भी खेती को बड़े रूप में करना असंभव होता है. उन्होंने अपनी कम खेती होने के बावजूद गांव के अन्य लोगों के खेत किस्त पर लेकर उस पर खेती की. प्रभाकर भाकुनी खेती के अलावा उद्यान, पशुपालन, और मत्स्य पालन का भी कार्य कर रहे हैं.

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भाकुनी को अब तक राज्यपाल के द्वारा प्रगतिशील किसान पुरस्कार से सम्मानित किया गया है. इसके अलावा उन्हें वनस्पति मित्र, मत्स्य उत्पादन का श्रेष्ठ सम्मान, अल्मोड़ा जनपद का श्रेष्ठ प्रगतिशील किसान और आत्मा परियोजना के तहत भी जिले के तमाम विभागों द्वारा सम्मानित किया जा चुका है.

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