सोमेश्वर: जंगली जानवर ग्रामीण इलाकों में होने वाली फसलों को चट कर जाते हैं, जिसके कारण किसान आये दिन परेशान रहते हैं. किसानों की महीनों भर की मेहनत को जंगली जानवर पलभर में रौंदकर चले जाते हैं,जिससे किसान खेती से मुंह मोड़ने लगे हैं. वहीं खेती में होते लगातर के नुकसान के कारण कई किसान गांवों से पलायन करने पर मजबूर हैं, वहीं कुछ किसान ऐसे भी हैं जो कि खेती के आधुनिक खेती के तरीकों का इस्तेमाल कर इसे अपनी आजीविका का साधन बना रहे हैं. ऐसी ही कहानी बसौली गांव के प्रगतिशील किसान प्रभाकर भाकुनी की है.
खेती में तमाम समस्याओं के बावजूद ताकुला ब्लॉक के बसौली गांव के प्रगतिशील काश्तकार और पूर्व बीडीसी सदस्य प्रभाकर भाकुनी पिछले 7 वर्षों से खेती का काम कर रहे हैं. भाकुनी खेती के माध्यम से खुद तो पैसे कमाते ही हैं साथ ही उन्होंने गांव में कई अन्य लोगों को भी रोजगार उपलब्ध करवाया है. उनके इस काम के लिए के राज्यपाल सहित अनेक विभागों ने उन्हें सम्मानित भी किया है.
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प्रभाकर भाकुनी का कहना है कि आये दिन जंगली जानवर खेती को नुकसान पहुंचाते रहते हैं, जिसकी रोकथाम करना बहुत जरुरी है. वे कहते हैं कि सरकार से किसानों की आर्थिक मदद देनी चाहिए. हर फसल के लिए राशि का निर्धारण किया जाना चाहिए. भाकुनी कहते हैं कि सरकारें पुरानी पद्धति से रबी और खरीफ की फसल के लिए जिन आंकड़ों पर कर्ज दिया जाता है वह ऊंट के मुंह में जीरे के समान हैं.
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