अल्मोड़ा: कोरोना संक्रमण का असर इस साल के हर त्योहार पर साफ देखा जा सकता है. भारत के आजादी के संघर्ष की गवाह रही अल्मोड़ा की ऐतिहासिक जेल में हर साल 9 अगस्त को अगस्त क्रांति कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता रहा है. इस दिन पूरे जेल को सजाकर आजादी के वीर नायकों को याद किया जाता था, लेकिन इस बार कोरोना के कारण यह कार्यक्रम आयोजित नहीं हो पा रहा है.
बता दें कि अल्मोड़ा की जेल एक ऐतिहासिक जेल है. ये ऐतिहासिक जेल 1872 में बनाई गई थी. देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने अपनी आत्मकथा के कुछ अंश इसी जेल में गुजारने के दौरान लिखे थे. अल्मोड़ा के इस जेल में स्वतंत्रता संग्राम के वीरों में पं. जवाहर लाल नेहरू, भारत रत्न गोविंद बल्लभ पंत, खान अब्दुल गप्फार खान, हर गोविन्द्र पंत, विक्टर मोहन जोशी सहित अनेक स्वतंत्रता संग्राम सेनानी रहे हैं.
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उत्तराखंड की सबसे पुरानी जेल में से अल्मोड़ा की जेल है. इस जेल में पंडित नेहरू दो बार रहे. इस जेल में स्वतंत्रता संग्राम के सेनानियों की अनेक यादे संरक्षित हैं. यहां स्थित नेहरू वार्ड में उनके खाने के बर्तन, चरखा, दीपक, चारपाई सहित पुस्तकालय भवन, भोजनालय आदि रखे हुए हैं. इस जेल को हैरिटेज बनाए जाने की कवायद भी लंबे समय से चल रही है. वर्तमान में इस जेल में अल्मोड़ा, बागेश्वर, पिथौरागढ़ और चंपावत जिलों के कैदियों को यहां रखा जाता है. आजादी के दौर की गवाह रही ये जेल इतिहास की किताब है.
कब और कौन से आंदोलनकारी इस जेल में रहे-
- जवाहर लाल नेहरू, दो बार रहे 1934-1935 तक फिर 1945 तक
- हर गोविंद पंत, दो बार रहे 1930 और 1940 से 1941 तक
- विक्टर मोहन जोशी 1932 में
- सीमांत गांधी खान 1936 में
- भारत रत्न गोविंद बल्लभ पंत 1940 से 1941 तक
- देवी दत्त पंत 1941 में
- कुमाऊं केसरी बद्री दत्त पाण्डे 1941 में
- आचार्य नरेन्द्र देव 1945 में
- सैयद अली जहीर 1939 में
हालांकि, हर साल 9 अगस्त को अगस्त क्रांति के अवसर पर इस जेल के नेहरू वार्ड में अनेक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता था, लेकिन इस बार कोरोना के प्रभाव के चलते यह कार्यक्रम नहीं हो पाएंगे.