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ऐतिहासिक नंदा देवी मेले की तैयारी जोरों पर, जानिए क्यों खास है यह मेला

नंदा देवी मेले को  इस बार 203 साल पूरे हो जाएगे. इस साल भी नंदा देवी मेले को भव्य रूप देने के लिए सांस्कृति कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है. मेला 3 से 8 सितम्बर तक चलेगा. वहीं, 8 सितम्बर को पूरे बाजार में मां नंदा देवी का डोला भ्रमण कर दुगालखोला समीप नाले में विसर्जित किया जाएगा.

नंदा देवी

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Published : Sep 1, 2019, 11:31 PM IST

अल्मोड़ा:ऐतिहासिक नंदादेवी मंदिर में मेले की तैयारी जोरों पर है. मेला आगामी 3 से 8 सितंबर तक चलेगा. इसी कड़ी में मेले को लेकर मेला कमेटी ने बैठक आयोजित की. जिसमें मेले को भव्य रूप देने के साथा ही नंदादेवी महोत्सव के पोस्टर का विमोचन किया गया. वहीं, अभी से मेले को लेकर रौनक दिखाई देने लगी है.

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बता दें कि, नंदा देवी मेले को इस बार 203 साल पूरे हो जाएंगे. मेले को लेकर नंदा देवी समिति ने बताया है कि 3 सितंबर को गणेश पूजन के साथ महोत्सव का शुभांरभ किया जाएगा. साथ ही इस बार नंदा जागरण , ऐपण और मेहन्दी सहित अन्य प्रतियोगिता का भी आयोजन किया जाएगा. 8 सितम्बर को पूरे बाजार में मां नंदा देवी का डोला भ्रमण कर दुगालखोला समीप नाले में विसर्जित किया जाएगा.

ऐतिहासिक नंदा देवी मेले की तैयारी जोरों पर.

गौर है कि अल्मोड़ा नगर के बीच में स्थित ऐतिहासिक नंदादेवी मंदिर में हर साल भाद्र मास की शुक्ल पक्ष की अष्टमी को लगने वाले मेले की रौनक ही कुछ अलग है. अल्मोड़ा शहर सोलहवीं सदी के छटे दशक के आसपास चंद राजाओं की राजधानी के रूप में विकसित हुआ था. यह मेला चंद वंश की राज परम्पराओं से सम्बन्ध रखता है.

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मेले के दौरान दो भव्य देवी की प्रतिमायें बनायी जाती हैं. पंचमी की रात्रि से ही जागरण की शुरुआत होती है. यह प्रतिमायें कदली स्तम्भ से निर्मित की जाती हैं. नन्दा की प्रतिमा का स्वरूप उत्तराखंड की सबसे ऊंची चोटी नंदादेवी की तरह बनाया जाता है.

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