सोमेश्वर:कोरोना लॉकडाउन के बाद देश के विभिन्न हिस्सों में प्रदेश के हजारों लोग फंसे हुए हैं. इन्हें सरकार द्वारा लगातार रेल और बसों के माध्यम से उनके घरों तक पहुंचाने की कोशिश की जा रही है. क्षेत्र के अनेक ग्राम प्रधानों ने प्रवासियों को गांवों में भेजने को चिंताजनक बताया है. साथ ही इसको लेकर प्रशासन से शिकायत करते हुए कहा है कि बाहरी शहरों से अनेक लोग रात-आधी रात प्राइवेट वाहनों से आकर सीधे घनी आबादी के बीच घरों में चले जा रहे हैं. ऐसे लोगों की न तो प्रशासन को कोई सूचना है न ही यह लोग सरकारी गाइड लाइन के अनुसार क्वारंटाइन हो रहे हैं. साथ ही ग्राम प्रधानों ने क्वारंटाइन की मूलभूत व्यवस्थाओं की भी मांग की है.
ग्राम प्रधान संगठन ताकुला के अध्यक्ष बीरेंद्र सिंह बिष्ट का कहना है कि बाहरी राज्यों से जिन प्रवासियों को गांवों में भेजा जा रहा है, शासन प्रशासन द्वारा उन्हें संस्थागत क्वारंटाइन की व्यवस्था नहीं की जा रही है. इस कारण प्रधानों को दिक्कतें हो रही हैं. उन्होंने कहा कि, प्रशासन ने जिन डीआरटी और सीआरटी की टीमों का गठन किया है उन्हें शीघ्र गांवों में भेजा जाए. वहीं, मकान की विवशता के चलते घरों में एक कमरे में 4-5 लोग रहते हैं. साथ ही गरीब वर्ग के अनेक परिवार संयुक्त शौचालय का प्रयोग करते हैं. घर-घर पेयजल की व्यवस्था न होने के कारण पानी भी सार्वजनिक पोस्टों, नौलों और अन्य प्राकृतिक स्रोतों से भरा जाता है. उन्होंने कहा सरकार द्वारा बाहरी शहरों से लोगों को गांवों में भेजकर कोरोना महामारी को गांवों की ओर धकेला जा रहा है. प्रशासन को चाहिए कि इन लोगों को शीघ्र स्कूलों, पंचायत भवनों आदि में रखा जाए.