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अल्मोड़ा वन पंचायतों के नक्शों को GIS तकनीक से किया जाएगा संरक्षित

अल्मोड़ा जनपद की करीब 2200 वन पंचायतों के नक्शों को सोबन सिंह जीना विश्वविद्यालय के भूगोल विभाग के छात्र जीआईएस प्रणाली से तैयार करेंगे. जो इन नक्शों को संरक्षित करने काम करेगा.

नक्शों को GIS तकनीक से किया जाएगा संरक्षित
नक्शों को GIS तकनीक से किया जाएगा संरक्षित

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Published : Sep 18, 2021, 5:03 PM IST

Updated : Sep 18, 2021, 5:45 PM IST

अल्मोड़ा: वन विभाग ने वन पंचायतों के नक्शों को हाईटेक तकनीक से संरक्षित करने की कवायद शुरू कर दी है. वन विभाग की यह विशेष पहल अल्मोड़ा से शुरू होने जा रही है. अल्मोड़ा जनपद की करीब 2200 वन पंचायतों के जर्जर हुए अभिलेख एवं नक्शों को जीआईएस तकनीक के जरिए तैयार किया जाएगा.

इन अभिलेखों एवं नक्शों को सोबन सिंह जीना विश्वविद्यालय के भूगोल विभाग के छात्र जीआईएस प्रणाली से तैयार करेंगे. अल्मोड़ा वन प्रभाग के डीएफओ महातिम यादव ने बताया कि वन पंचायतों के नक्शे काफी बदहाल हालात में हैं. जिसको डिजिटल करने की प्रक्रिया चल रही है. इसके लिए अल्मोड़ा के एसएसजे यूनिवर्सिटी के भूगोल विभाग के छात्रों को इस कार्य में लगाया जाएगा. जो जीआईएस तकनीक से इन नक्शों को संरक्षित करने काम करेंगे.

नक्शों को GIS तकनीक से किया जाएगा संरक्षित

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उन्होंने बताया कि इस कार्य की शुरुआत उत्तराखंड में अल्मोड़ा जिले से की जा रही है. जिले में कुल 22 सौ वन पंचायते हैं. प्रथम चरण में जिले के करीब आठ सौ वन पंचायतों के अभिलेख व नक्शे संरक्षित किये जायेंगे.

क्या है जीआईएस: ज्योग्राफिकल इन्फॉर्मेशन सिस्टम (geographic information system) भूगोल की एक मुख्य शाखा है, जो रिमोट सेंसिंग, डिजिटल तकनीक एवं हाईटेक विधियों से सुसज्जित होता है. इसके माध्यम से पृथ्वी की भौगोलिक आकृतियों, भू-भागों आदि को डिजिटल रूप में प्रस्तुत किया जाता है. यह एक हाईटेक तकनीक है, जिसमें किसी भी डाटा को एनालॉग से डिजिटल तकनीक में बदला जाता है.

ये मानचित्र न केवल तकनीकी रूप से उन्नत होते हैं, बल्कि उनसे भौगोलिक दृश्यों को सरलता से प्रदर्शित भी किया जा सकता है. इसमें किसी भी स्थान की स्थिति को उस स्थान पर जाए बिना ही अपने कंप्यूटर पर देखा एवं बनाया जा सकता है.

Last Updated : Sep 18, 2021, 5:45 PM IST

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