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भगवान के दर्शन कर नए साल की शुरुआत, जागेश्वर धाम और धारी देवी मंदिर में श्रद्धालुओं का लगा तांता

नए साल के मौके पर जागेश्वर धाम और धारी देवी मंदिर में श्रद्धालुओं का तांता रहा. हर कोई भगवान के दर्शन कर नए साल की शुरुआत करता नजर आया. धारी देवी मंदिर में तो श्रद्धालुओं का दवाब इतना बढ़ गया कि मंदिर समिति को कुछ घंटों के लिए पूजा को बंद करना पड़ा.

dhari devi temple
धारी देवी मंदिर में श्रद्धालुओं का तांता

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Published : Jan 1, 2022, 7:55 PM IST

Updated : Jan 1, 2022, 8:11 PM IST

अल्मोड़ा/श्रीनगरःहर कोई नए साल की शुरुआत कुछ अच्छे कामों से करना चाहता है. यही वजह है कि ज्यादातर लोग नए साल की शुरुआत भगवान के दर्शन और आशीर्वाद लेकर करते हैं. अल्मोड़ा में देशभर के पर्यटकों और स्थानीय लोगों ने जागेश्वर धाम में भगवान के दर्शन कर नए साल की शुरुआत की. उधर, श्रीनगर के प्रसिद्ध मां धारी देवी के मंदिर में भी श्रद्धालुओं का तांता लगा रहा. इतना ही नहीं मां धारी के दर्शन के लिए उन्हें घंटों लाइन में लगना पड़ा.

जागेश्वर मंदिर में शिव की पूजा कर नए साल की शुरुआतःअल्मोड़ा जिले के विश्व प्रसिद्ध जागेश्वर मंदिर में सुबह से ही श्रद्धालुओं का तांता लगा रहा. पर्यटक भगवान शिव के धाम जागेश्वर में पूजा पाठ कर अपनी साल की शुरुआत करने पहुंचे. श्रद्धालुओं का कहना है कि वो नव वर्ष मनाने अल्मोड़ा पहुंचे हैं. आज जागेश्वर मंदिर पहुंचकर उन्होंने भगवान शिव की पूजा पाठ की और नया साल शुभ हो, यह वर्ष उनके लिए अच्छा रहे, इसकी कामना की. खासकर दिल्ली, मुंबई, गुजरात, महाराष्ट्र समेत विभिन्न राज्यों से पर्यटक जागेश्वर मंदिर (tourists visit jageshwar temple) पहुंचे.

धारी देवी मंदिर में श्रद्धालुओं का लगा तांता.

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बता दें कि अल्मोड़ा मुख्यालय से लगभग 40 किलोमीटर दूर देवदार के घने जंगलों के बीच शांति और अलौकिक शक्ति का अहसास कराता जागेश्वर मंदिर समूह सबसे बड़ा मंदिर समूह है. जागेश्वर मंदिर में 125 छोटे बड़े मंदिरों का समूह है. जागेश्वर मंदिर समूह अपनी वास्तुकला के लिए देश-विदेश में विख्यात है. जिसकी भव्यता देखते ही बनती है.

नए साल पर जागेश्वर धाम में पर्यटकों का उमड़ा हुजूम.

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार जागेश्वर धाम भगवान शिव की तपोस्थली रही है. मान्यता है कि यहां महामृत्युंजय जाप करने से मृत्यु तुल्य कष्ट टल जाते हैं, लेकिन मंदिरों के निर्माण को कई सटीक इतिहास कहीं दर्ज नहीं है. बताया जाता है इन मंदिरों का जीर्णोद्धार का कार्य 7वीं और 14वीं शताब्दी में कत्यूरी शासकों ने किया था. उससे पहले यह मंदिर बदरीनाथ शैली के बने काष्ट शैली के थे.

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सिद्धपीठ धारी देवी मंदिर से नए साल का आगाजःनए साल के पहले दिन सिद्धपीठ धारी देवी मंदिर में श्रद्धालुओं का हुजूम उमड़ा रहा. कड़ाके की ठंड होने के बावजूद सुबह 5 बजे से ही श्रद्धालु मंदिर पहुंचने लगे. लंबी कतारों में लगकर श्रद्धालुओं ने अपनी बारी का घंटों इंतजार किया. इतना ही नहीं मंदिर परिसर से लेकर बाहर तक तकरीबन 1 किमी लंबी लाइन लगी रही.

वहीं, काफी संख्या में श्रद्धालुओं के मंदिर पहुंचने पर मंदिर समिति को कुछ घंटों के लिए पूजा को बंद करना पड़ा. मंदिर के पुजारी ने बताया कि नए साल के अवसर पर बाकी दिनों के मुकाबले श्रद्धालु दर्शन करने के लिए पहुंचे. लगातार लग रही भीड़ के कारण कुछ घंटों के लिए पूजा बंद कर केवल भक्तों को दर्शन करने और प्रसाद चढ़ाने की अनुमति दी गई. जिससे जल्द से जल्द भीड़ नियंत्रित हो सके. वहीं, पुलिस प्रशासन सुरक्षा व्यवस्था में जुटा रहा.

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ये है धारी देवी की महत्ताः मां धारी देवी शक्ति पीठ चारों धामों की रक्षक देवी मानी जाती है. जब कोई श्रद्धालु भगवान बदरीनाथ, बाबा केदार के दर्शन कर आता है तो वो मां भगवती धारी देवी के दर्शन करना नहीं भूलते हैं. मान्यता है कि 'धारी देवी' उत्तराखंड में चारों धाम की रक्षा करती हैं. वहीं, मंदिर के बारे में कह जाता है कि रोजाना माता तीन रूप बदलती है. वह सुबह कन्या, दोपहर में युवती और शाम को वृद्धा का रूप धारण करती हैं. जिस वजह से यहां धारी देवी के प्रति आस्था रखने वाले श्रद्धालु रोजाना भारी संख्या में दर्शन के लिए पहुंचते हैं.

Last Updated : Jan 1, 2022, 8:11 PM IST

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