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उद्योग को संजीवनी: कुंभ में विशेष अतिथियों को अल्मोड़ा में बने तांबे के कलश भेंट करेगी पुलिस - Tamra Nagri Almora

आज से 3 दशक पहले तक अल्मोड़ा के टम्टा मोहल्ले में करीब 72 परिवार इस व्यवसाय से जुड़े थे. यहां के ताम्र कारीगरों द्वारा बनाए गए परंपरागत तौला, गागर, फौला, परात, पूजा के बर्तन के अलावा वाद्य यंत्र रणसिंघा, तुतरी आदि बहुत प्रसिद्ध थे. हर परिवार का अपना कारखाना था. समय बीतने के साथ मशीनी युग ने इस हस्त निर्मित ताम्र उद्योग कारोबार को चौपट कर दिया.

Kumbh police will present Almoras copper vase  to VIP and VVIP in Kumbh
ताम्र उद्योग को मिलेगी 'संजीवनी'

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Published : Feb 20, 2021, 6:29 PM IST

Updated : Feb 20, 2021, 7:10 PM IST

अल्मोड़ा:सांस्कृतिक नगरी अल्मोड़ा में खत्म होने की कगार पर पहुंचे ताम्र उद्योग को हरिद्वार कुंभ पुलिस प्रशासन की नई पहल के बाद संजीवनी मिलने की उम्मीद जगी है. हरिद्वार कुंभ पुलिस प्रशासन ने इस बार लोकल फॉर वोकल को बढ़ावा देते हुए आने वाले कुंभ में वीआईपी और वीवीआईपी अतिथियों को अल्मोड़ा में बने हस्त निर्मित तांबे के कलश (गगरी) में गंगाजल भेंट करने का फैसला लिया है. कुंभ पुलिस की इस पहल से अल्मोड़ा के तांबा व्यवसायी काफी उत्साहित हैं.

ताम्र उद्योग को मिलेगी 'संजीवनी'

अल्मोड़ा के कारखाना बाजार में 75 वर्षों से संचालित हो रही तांबे के बर्तनों की प्रसिद्ध दुकान अनोखेलाल के व्यवसायी संजीव अग्रवाल बताते हैं कि अल्मोड़ा को ताम्र नगरी के नाम से भी जाना जाता है. यहां एक समय में तांबे के हस्त निर्मित बर्तन देश-विदेशों में अपनी चमक बिखेरते थे. मगर समय के साथ और मशीनी युग के चलते इसकी डिमांड में काफी कमी आ गई है.

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मगर हरिद्वार में कुंभ पुलिस-प्रशासन की नई पहल के बाद यहां के व्यापारियों के चेहरे खिल गये हैं. कुंभ पुलिस की पहल से एक बार फिर से अल्मोड़ा के तांबे के बर्तनों को पहचान मिलने की उम्मीद जगी है.

इस बार कुंभ पुलिस विभिन्न कंपनियों के कॉरपोरेट सोशल रिस्पांसबिलिटी (सीएसआर) फंड से इन ताम्र कलश को खरीदेगी. पहले चरण में ढाई लाख रुपये के ताम्र कलश खरीदने की तैयारी है. मेला पुलिस की इस योजना से अल्मोड़ा की टम्टा बिरादरी के ताम्र शिल्पकारों को आर्थिक संकट से उबरने में मदद मिलेगी. वहीं लुप्त होने के कगार पर पहुंच चुके इस कारोबार को भी संजीवनी मिलेगी.

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बता दें कि सांस्कृतिक नगरी अल्मोड़ा की एक पहचान ताम्र नगरी के तौर पर भी रही है. एक जमाने में यहां काफी मात्रा में तांबे का काम होता था. उस दौर में अल्मोड़ा के टम्टा मोहल्ला की गलियों से गुजरने पर हर समय टन-टन की आवाज सुनाई देती थी. दरअसल, यह आवाज तांबे के बर्तन बनाने वाले कारीगरों के घरों से आती थी. यहां दिन-रात मेहनत करके वे तांबे के बड़े सुंदर बर्तनों को आकार दिया करते थे. उस दौर में अल्मोड़ा का तांबा हैंडीक्राफ्ट कारोबार सिर्फ भारत ही नहीं, बल्कि विदेशों में भी फेमस था.

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400 साल पुराना अल्मोड़ा का तांबा उद्योग अब चौपट हो चुका है. आज से 3 दशक पहले तक अल्मोड़ा के टम्टा मोहल्ले में करीब 72 परिवार इस व्यवसाय से जुड़े थे. यहां के ताम्र कारीगरों द्वारा बनाए गए परंपरागत तौला, गागर, फौला, परात, पूजा के बर्तन के अलावा वाद्य यंत्र रणसिंघा, तुतरी आदि बहुत प्रसिद्ध थे. हर परिवार का अपना कारखाना था. समय बीतने के साथ मशीनी युग ने इस हस्त निर्मित ताम्र उद्योग कारोबार को चौपट कर दिया. हालांकि टम्टा मोहल्ले में आज भी चंद परिवार इस पारम्परिक पेशे को जिंदा रखे हुए हैं.

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अल्मोड़ा नगर पालिका के अध्यक्ष प्रकाश चंद्र जोशी का कहना है कि कुंभ मेला प्रशासन द्वारा उठाया गया कदम काफी सराहनीय है. उन्होंने कहा कि सरकारों को भी यहां के तांबे के परंपरागत व्यवसाय को फिर से पुनर्जीवित करने की ओर ध्यान देने की जरूरत है.

Last Updated : Feb 20, 2021, 7:10 PM IST

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