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वनाधिकार की लड़ाई राज्य को बसाने और बचाने की लड़ाई: किशोर उपाध्याय

शनिवार को मीडिया से मुखातिब होते हुए किशोर उपाध्याय ने कहा कि वनों पर हमारा पुश्तैनी हक है. इन वनों का हमारे पूर्वजों सालों से सरंक्षण करते आए हैं. लेकिन सरकार हमारे हक हकूकों को छीनने का कार्य कर रही है. उपाध्याय ने कहा कि उत्तराखंड का 75 प्रतिशत भू-भाग वन आछांदित है. ऐसे में उत्तराखंडवासियों का जन जीवन पूरी तरह से वनों पर ही निर्भर करता है. ऐसे में प्रदेशवासियों को वनाधिकार मिलना बहुत जरुरी है.

वनाधिकार की लड़ाई राज्य को बसाने और बचाने की लड़ाई: किशोर उपाध्याय

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Published : Sep 21, 2019, 10:39 PM IST

अल्मोड़ा: वनाधिकार आंदोलन के संयोजक और कांग्रेस नेता किशोर उपाध्याय अल्मोड़ा पहुंचे थे. इस मौके पर किशोर उपाध्याय ने कहा कि वनाधिकार की लड़ाई राज्य को बसाने और बचाने की लड़ाई है. उन्होंने कहा कि जबतक राज्य में 2006 का वनाधिकार कानून लागू नहीं हो जाता उनकी यह लड़ाई जारी रहेगी.

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शनिवार को मीडिया से मुखातिब होते हुए किशोर उपाध्याय ने कहा कि वनों पर हमारा पुश्तैनी हक है. इन वनों का हमारे पूर्वजों सालों से सरंक्षण करते आए हैं. लेकिन सरकार हमारे हक हकूकों को छीनने का कार्य कर रही है. उपाध्याय ने कहा कि उत्तराखंड का 75 प्रतिशत भू-भाग वन आछांदित है. ऐसे में उत्तराखंडवासियों का जन जीवन पूरी तरह से वनों पर ही निर्भर करता है. ऐसे में प्रदेशवासियों को वनाधिकार मिलना बहुत जरुरी है.

किशोर उपाध्याय ने कहा कि उत्तराखंड के लोगों को केन्द्रीय सेवा में आरक्षण दिया जाना चाहिए. साथ ही सीमान्त के किसानों को उनकी फसल बर्बाद होने पर बाजार मूल्य पर क्षतिपूर्ति मिलनी चाहिए. अगर किसी व्यक्ति को जंगली जानवर मार देता है तो उसके परिवार को 25 लाख की आर्थिक सहायता और परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी भी मिलनी चाहिए.
वनाधिकार के संयोजक उपाध्याय ने बताया कि अल्मोड़ा में वनाधिकार आन्दोलन को लेकर एक वृहद कार्यक्रम का आयोजन किया जाना था लेकिन पंचायत चुनाव को लेकर यह कार्यक्रम स्थगित किया गया है. पंचायत चुनाव खत्म होने के बाद इस जनआन्दोलन को पूरे उत्तराखंड वृहद रूप से चलाया जाएगा.

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