उत्तराखंड

uttarakhand

ETV Bharat / state

कोरोना इफेक्ट: 200 सालों में पहली बार सादगी से मनाया जाएगा ऐतिहासिक नंदा देवी मेला - celebrated with simplicity due to Corona virus in Almora

200 सालों के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ कि इस साल नंदादेवी मेला बेहद सादगी के साथ मनाया जाएगा. इस बार कोरोना संक्रमण के कारण मंदिर में सिर्फ पूजा पाठ, धार्मिक आयोजन सीमित संख्या में मौजूद लोगो द्वारा ही किया जाएगा.

Historical Nanda Devi Mela
सादगी से मनाया जाएगा ऐतिहासिक नंदा देवी मेला

By

Published : Aug 22, 2020, 4:44 PM IST

अल्मोड़ा: हिमालयी क्षेत्र में नंदा देवी का बहुत महत्व है. कहा जाता है कि नंदा देवी के सम्मान में यहां नगर बसाये गये. इतना ही नहीं उनके नाम पर नदियों और चोटियों का नामकरण हुआ है. पूरे कुमाऊं और गढ़वाल में नंदा देवी को अपनी ईष्ट, आराध्या बहन और बेटी के रूप में पूजा जाता है. वहीं, अल्मोड़ा की नंदा देवी के सम्मान में जगह जगह मेले आयोजित किये जाते हैं. ऐसे में हर साल भव्य रूप से लगने वाला नंदादेवी का ये मेला इस बार कोरोना संक्रमण के चलते पहली बार बेहद सादगी के साथ मनाया जाएगा.

अल्मोड़ा नगर के मध्य में स्थित ऐतिहासिकता नन्दादेवी मंदिर में प्रतिवर्ष भाद्र मास की शुक्ल पक्ष की अष्टमी को लगने वाले मेले की रौनक ही कुछ अलग है. यहां के ऐतिहासिक नंदादेवी मंदिर में लगातार भव्य मेले का आयोजन किया जाता है. जिसमे देश विदेश से लाखों श्रद्धालु यहां आकर मेले भव्यता व विभिन्न रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रमों का लुत्फ उठाते हैं.

सादगी से मनाया जाएगा ऐतिहासिक नंदा देवी मेला.

200 सालों में पहली बार सादगी से होगा आयोजन

जानकारों के मुताबिक, 200 सालों के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ कि इस साल नंदादेवी मेला बेहद सादगी के साथ मनाया जाएगा. इस बार कोरोना संक्रमण के कारण मंदिर में सिर्फ पूजा पाठ व धार्मिक आयोजन सीमित संख्या में मौजूद लोगो द्वारा ही किया जाएगा. वहीं, मेले की शुरुआत आगामी 23 अगस्त को राजपरिवार के सदस्यों द्वारा गणेश पूजा के साथ होगी, जिसके अगले दिन परम्परा के अनुसार 24 अगस्त को कदली वृक्ष को आमंत्रित कर मूर्ति का पूजन होगा. वहीं, आने वाले दिनों में अलग-अलग प्रकार के कर्मकांड का आयोजन कर 28 अगस्त को नंदा सुनंदा की डोला यात्रा के साथ इस पौराणिक मेले का समापन किया जाएगा.

ये भी पढ़ें:रिस्पना-बिंदाल रिवरफ्रंट योजना, MDDA नई कंपनी के साथ करेगी करार

सोलहवीं शताब्दी में बसा था अल्मोड़ा नगर

बता दें कि अल्मोड़ा शहर सोलहवीं शती के छटे दशक के आसपास चंद राजाओं की राजधानी के रूप में विकसित हुआ था. यह मेला चंद वंश की राज परम्पराओं से सम्बन्ध रखता है. इतिहासकार वीडीएस नेगी के अनुसार अल्मोड़ा में नन्दादेवी के मेले का इतिहास के बारे में लोगों का मानना है कि राजा बाज बहादुर चंद (सन 1638 से 78) ही नन्दा की प्रतिमा को गढ़वाल से उठाकर अल्मोड़ा लाये थे. इस विग्रह को उन्होंने उस समय कचहरी स्थित मल्ला महल में स्थापित किया था. कहा जाता है कि अल्मोड़ा का नंदा देवी का मेला 1671 से अल्मोड़ा में प्रारम्भ हुआ था. बाद में कुमाऊं के तत्कालीन कमिश्नर ट्रेल ने नन्दा की प्रतिमा को मल्ला महल से हटाकर दीप चंदेश्वर मंदिर में स्थापित करवाया था। कहा जाता है कि वर्तमान में स्थित मंदिर में 1816 से मेले का आयोजन होते आ रहा है.

गोरखा शासन में मिली नंदा देवी मंदिर को पहचान

इतिहासकारों के अनुसार कहा जाता है कि चंद राजाओं के शासन काल में इन मंदिरों को बनाया गया था. तत्कालीन राजा उद्योतचंद्र ने अल्मोड़ा इन मंदिरों का निमार्ण किया था. वर्तमान में नंदा देवी परिसर में तीन देवालय है जिनमें पार्वतेश्वर और उद्योतचंद्रेश्वर देवालय काफी प्राचीन देवालयों में है जबकि, दीपचंद्रेश्वर देवालय का निर्माण राजा दीप चंद ने बाद में किया था जिसमें वर्तमान में नंदा देवी का मंदिर है. इस परिसर को उस समय दीचंद्रेश्वर मंदिर के नाम से ही जाना जाता रहा. उसके बाद गोरखा शासन काल में इस परिसर को मां नंदा देवी मंदिर के नाम से जाना जाने लगा. वर्तमान में इसी परिसर में नंदा देवी का मेला लगता है.

कमिश्नर ट्रेल ने 1816 में कराया था मंदिर निर्माण

वहीं, मंदिर की शक्ति व व महत्व के बारे में कहा जाता है कि मल्ला महल (वर्तमान कचहरी) में जो नंदादेवी की मूर्तियां प्रतिष्ठित थी. वह अंग्रेजों के शासनकाल के दौरान 1815 में तत्कालीन कमिश्नर ट्रेल ने उन्हें उद्योत चंद्रेश्वर मंदिर में रखवा दिया. कहा जाता है कि उसके बाद कमिश्नर ट्रेल जब हिमालय के नंदादेवी चोटी की तरफ गए तो उनकी आंखों की रोशनी अचानक काफी कम हो गई. बताया जाता है कि इसके बाद कुछ लोगों की सलाह पर उन्होंने अल्मोड़ा आकर 1816 में नंदादेवी का मंदिर बनवाकर (वर्तमान मंदिर) वहां नंदादेवी की मूर्ति स्थापित करवाई कहा जाता है कि इसके बाद उनकी आंखों की रोशनी में सुधार आया.

ABOUT THE AUTHOR

...view details