अल्मोड़ाःसांस्कृतिक नगरी अल्मोड़ा को अपनी विशेष संस्कृति के अलावा ऐतिहासिक पहचान के लिए भी जाना जाता है. इन ऐतिहासिक पहचानों में यहां की एक जेल भी शामिल है. यह जेल स्वतंत्रता संग्राम के संघर्ष की यादों की एक गवाह भी है. देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने आजादी के दौरान अपनी आत्मकथा के कुछ अंश इसी जेल में गुजारने के दौरान लिखे थे. जिस वार्ड में जवाहर लाल नेहरू रहे थे, उसे नेहरू वार्ड के नाम से जाना जाता है.
स्वतंत्रता संग्राम की गवाह अल्मोड़ा की ऐतिहासिक जेल.
इतना ही नहीं इस जेल में स्वतंत्रता संग्राम के सेनानी भारत रत्न गोविंद बल्लभ पंत, खान अब्दुल गफ्फार खान, हरगोविंद पंत, विक्टर मोहन जोशी समेत कई लोग बंद हुए थे, लेकिन ये जेल धीरे-धीरे जीर्ण क्षीर्ण होती जा रही है.
बता दें कि अल्मोड़ा की ऐतिहासिक जेल की स्थापना 1872 में अंग्रेजों ने की थी. कहा जाता है कि इससे पहले यहां पर चंद राजाओं और गोरखा शासन के दौरान फांसी का गधेरा था. जहां पर मुजरिम को फांसी दी जाती थी. बाद में अंग्रेजों ने अपने शासन के दौरान उठ रहे विद्रोह को थामने के लिए यहां पर जेल की स्थापना की थी.
इस जेल में अंग्रेजों ने आजादी की लड़ाई लड़ रहे अनेक वीरों को रखा गया था. यह जेल उत्तराखंड की सबसे पुरानी जेल मानी जाती है. इस जेल में पंडित जवाहर लाल नेहरू को दो बार रखा गया था. साथ ही भारत रत्न पंडित गोविंद बल्लभ पंत, खान अब्दुल गफ्फार खान समेत 9 लोग जेल में रहे थे. जिनकी स्वतंत्रता संग्राम से जुड़ी हुई उनकी यादें आज भी देखने को मिलती है.
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इस जेल में जवाहरलाल नेहरू ने अपनी आत्मकथा के कुछ अध्याय भी लिखे थे. जेल में पंडित नेहरू से जुड़ी यादें आज भी ताजा है. यहां स्थित नेहरू वार्ड में उनके खाने के बर्तन, चरखा दीपक, चारपाई, पुस्तकालय भवन, भोजनालय आदि मौजूद हैं. नेहरू वार्ड को 'हेरिटेज वार्ड' घोषित किया जा चुका है, लेकिन बाकी जेल की हालत दिन-प्रतिदिन जीर्णशीर्ण होती जा रही है. इस जेल को संरक्षित करने की मांग लंबे समय से उठ रही है, बावजूद इस पर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है.
कब और कौन-कौन आंदोलनकारी रहे इस जेल में-
- पंड़ित जवाहरलाल नेहरू, 28 अक्टूबर 1934 से 03 सिंतबर 1935 और 10 जून 1945 से 15 जून 1945 तक दो बार जेल में रहे.
- हरगोविंद पंत, 25 अगस्त 1930 से 01 सिंतबर 1930 और 07 दिसंबर 1940 से 04 अक्टूबर 1941 तक दो बार इस जेल में कैद रहे.
- विक्टर मोहन जोशी, 25 जनवरी 1932 से 08 फरवरी 1932 तक इस जेल में बंद रहे.
- सीमांत गांधी खान अब्दुल गफ्फार खां, 04 जून 1936 से 01 अगस्त 1936 तक कैद रहे.
- भारत रत्न गोविंद बल्लभ पंत, 28 नवंबर 1940 से 17 अक्टूबर 1941 तक बंद रहे.
- देवी दत्त पंत, 06 जनवरी 1941 से 24 अगस्त 1941 तक बंद रहे.
- कुमाऊं केसरी बद्री दत्त पांडे, 20 फरवरी 1941 से 28 मार्च 1941 तक जेल में रहे.
- आचार्य नरेंद्र देव, 10 जून 1945 से 15 जून 1945 तक कैद रहे.
- सैयद अली जहीर, 25 अप्रैल 1939 से 08 जून 1939 तक इस जेल में बंद रहे.
वहीं, वर्तमान में इस जेल में अल्मोड़ा, बागेश्वर, पिथौरागढ़ और चंपावत जिले के कैदियों को रखा जा रहा है.