अल्मोड़ा: उत्तराखंड के प्रसिद्ध जनकवि गिरीश चन्द्र तिवारी (गिर्दा) की पुण्यतिथि पर सांस्कृतिक नगरी अल्मोड़ा में साहित्यकार, आंदोलनकार, रंगकर्मी व कवियों ने उनके लिखे गीत हुडके की थाप पर गाकर उन्हें याद किया और श्रद्धांजलि दी.
गिर्दा का जन्म 9 सितंबर, 1945 को अल्मोड़ा के ज्योली हवालबाग गांव में हंसादत्त तिवारी और जीवंती तिवारी के घर हुआ था. गिर्दा मूलतः कुमाउंनी तथा हिंदी के कवि हैं, लेकिन उन्होंने लोक पंरपराओं के साथ चलते हुए लोक संस्कृति के क्षेत्र में अपनी एक अलग पहचान बनायी. वह आजीवन जन संघर्षों से जुड़े रहे और अपनी कविताओं में जन पीड़ा को सशक्त अभिव्यक्ति दी. गिर्दा ने अन्धायुग, अंधेरी नगरी, थैक्यू मिस्टर ग्लाड, भारत दुर्दशा, नगाड़े खामोश, धनुष और यज्ञ नाटकों का लेखन भी किया.
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