अल्मोड़ा: बहुत कम लोगों को मालूम होगा कि देश की आजादी के लिए राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने अपने बर्तन तक नीलाम कर दिए थे. सांस्कृतिक नगरी अल्मोड़ा में आज भी गांधीजी का वह लोटा मौजूद है, जिसको उन्होंने स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान एक जनसभा में नीलाम किया था. जिसको उस समय अल्मोड़ा के कैलाश होटल मालिक जवाहर शाह ने गांधी जी से खरीदा था.
गांधी जी का लोटा आज भी है सुरक्षित दिवंगत जवाहर शाह के बेटे सावल शाह का कहना है कि उनके पिता उन्हें बताते थे कि स्वतंत्रता आंदोलन के लिए पैसों की कमी के कारण गांधी जी देश भर में घूम-घूमकर लोगों को जागरूक करते हुए चंदा भी इकट्ठा कर रहे थे. साथ ही देश की आजादी के लिए अपने सामान को नीलाम कर पैसा जुटा रहे थे. उसी दौरान वह अल्मोड़ा दौरे पर आए थे, जहां उन्होंने अपने लोटे की नीलामी की थी.
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वह बताते हैं कि यह लोटा चांदी का है, इसको उस दौर में उनके पिताजी ने गांधी जी को आजादी के आंदोलन में सहयोग करने के लिए असल कीमत से कई गुना ज्यादा दाम लगभग 11 रुपये की कीमत में खरीदा था. यह लोटा आज भी उनके पास सुरक्षित है.
वहीं इतिहासकार वी डी एस नेगी का कहना है कि गांधीजी 1929 में अल्मोड़ा के दौरे पर आए थे. यहां आकर उन्होंने कई जनसभाओं को संबोधित किया. इसी दौरान यह लोटा भी उन्होंने जवाहर शाह को दिया होगा. उन्होंने कहा उस समय स्वतंत्रता आंदोलन में सहयोग के लिए यहां से काफी मात्रा में चंदा इकट्ठा करके गांधी जी को दिया गया था.
वे बताते हैं कि साल 1929 में नैनीताल में महिलाओं ने आजादी के आंदोलन में अपना सहयोग देते हुए गांधी जी को अपने गहने तक भेंट कर दिए थे. दिवंगत जवाहर शाह की बहू गीता शाह बताती हैं कि उनको इस बात का गर्व है कि गांधी जी का लोटा उनके पास है. वे कहती हैं कि उनके ससुर इस लोटे को मंदिर में रखा करते थे. साथ ही उनसे भी इस लोटे को सुरक्षित रखने को कहते थे.