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सोमेश्वर के गोल्ज्यू मंदिर में खत्म हुई बलि प्रथा, भंडारे के साथ हुआ बैसी पूजन का समापन

लोद घाटी के प्राचीन गोल्ज्यू मन्दिर बयाला खालसा में 11 दिवसीय बैसी पूजन कार्यक्रम के समापन हो गया. कार्यक्रम के आखिरी दिन हवन और भंडारा किया गया जिसमें क्षेत्र के सैकड़ों श्रद्धालुओं ने प्रसाद ग्रहण किया. इस बार ग्रामीणों ने बकरियों और बागी की बलि प्रथा को त्याग दिया.

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Published : Jan 3, 2020, 5:06 PM IST

Updated : Jan 3, 2020, 5:13 PM IST

सोमेश्वर: लोद घाटी के ग्राम बयाला-खालसा के प्राचीन गोल्ज्यू मन्दिर में बैसी पूजन कार्यक्रम का हवन और महाभंडारे के साथ समापन हो गया. इस अवसर पर हवन में श्रद्धालुओं ने पूर्णाहुति दी और गोल्ज्यू सहित सभी ग्राम देवताओं का आह्वान किया. इस मौके पर महिलाओं ने भी पारम्परिक परिधानों में सुसज्जित होकर हवन में सहभाग किया, जबकि बैसी पूजन के दौरान देव डंगरियों ने गांव के अन्य मन्दिरों, सोमनाथ महादेव मंदिर सोमेश्वर, क्षेत्रपाल मन्दिर में दर्शन किए.

बैसी पूजन का हुआ समापन.

बैसी पूजन में गोल्ज्यू, हरज्यू, बरज्यू, भण्डारी, हठीला दीवान, मेलना और लाटू देवता अवतरित हुए. ग्यारह दिन तक सुबह शाम मंदिर की धूनी में जागर गाया गया. जिसके बाद आह्वान पर देवी देवताओं ने ग्रामीणों को सुख समृद्धि का आशीर्वाद दिया और उनकी असुरी शक्तियों से रक्षा के लिए भक्तों को भभूत लगाई.

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बता दें कि इस मंदिर में पहले बैसी पूजन में दर्जनों बकरों की बलि दी जाती थी, लेकिन इस बार ग्रामीणों ने बलिप्रथा को छोड़कर पूड़ी और मीठा पकवान आदि का प्रसाद बनाकर नई परम्परा शुरू की.

Last Updated : Jan 3, 2020, 5:13 PM IST

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