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आल्पस कर्मियों को कांग्रेस का मिला समर्थन, कुंजवाल और माहरा ने श्रमिकों के साथ निकाला मार्च - almora hindi news

आल्पस कर्मियों को कांग्रेस ने दिया समर्थन. विधानसभा में मुद्दा उठाने का भी दिया आश्वासन.

congress supported alps workers

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Published : Feb 5, 2019, 12:05 AM IST

अल्मोड़ा: सांस्कृतिक नगरी अल्मोड़ा की सबसे पुरानी और एकमात्र दवा कंपनी आल्पस फार्मास्यूटिकल के बंद होने से सैकड़ों कर्मचारी बेरोजगार हो गए हैं. कंपनी बंद होने के बाद कर्मी अपने लंबित 5 माह के वेतन के भुगतान और कंपनी को दोबारा से संचालित करने के लिए पिछले कई दिनों से आमरण अनशन पर हैं. आज कांग्रेस ने आंदोलित कर्मियों को समर्थन देते हुए पोस्टऑफिस से लेकर चौघानपाटा तक मार्च निकाला. इस दौरान करन माहरा ने मामले को विधानसभा में उठाने की बात कही.

आल्पस कर्मियों के समर्थन में निकाले गए मार्च में प्रतिपक्ष के उपनेता करन माहरा के साथ पूर्व विधानसभा अध्यक्ष गोविंद सिंह कुंजवाल भी मौजूद रहे. पूर्व विधानसभा अध्यक्ष व जागेश्वर विधायक गोविन्द सिंह कुंजवाल और करन माहरा ने कहा कि आज कर्मचारी सड़कों पर हैं उन्हें पिछले कई महीनों से वेतन व उनका ईपीएफ तक नहीं मिला है. ये सरकार की नाकामी है. कर्मचारियों के भविष्य के साथ खिलवाड़ किया गया, लेकिन सरकार ने इस ओर जरा भी ध्यान नहीं दिया.

जानकारी देते करन माहरा और गोविंद कुंजवाल

कांग्रेस के नेताओं का कहना है कि वो इस मामले को विधानसभा में नियम 58 के तहत उठायेंगे. अगर सरकार समय से नहीं चेती तो वो इस लड़ाई को सड़क से लेकर सदन तक हर जगह उठायेंगे. वहीं पूर्व विधानसभा अध्यक्ष व वर्तमान जागेश्वर विधायक गोविन्द सिंह कुंजवाल ने कहा कि बीजेपी सरकार ने 5 सालों में कुछ भी काम नहीं किया है. देश में बेरोजगारी बेतहताशा बढ़ गई है. किसान आत्महत्या कर रहे हैं और बीजेपी सिर्फ जनता को बरगलाने का काम कर रही है. उन्होंने कहा कि बीजेपी राज में जिनके पास रोजगार था वो भी छिन गया है.

बता दें कि अल्मोड़ा के पाताल देवी स्थित आल्पस फार्मास्यूटिकल कंपनी का मालिक गुजरात के देना बैंक की कर्जदारी के चलते कंपनी बंद कर श्रमिकों को बिना वेतन दिये फरार हो गया था. कंपनी में कार्य कर रहे श्रमिकों का कहना है कि उन्हें पिछले पांच माह से वेतन नहीं दिया गया और उनके पीएफ में भी धांधली की गई है.

पीएफ की फोरजरी के खिलाफ पीएफ विभाग व श्रमिकों ने पिछले 4 माह पहले एफआईआर भी दर्ज की थी, लेकिन अबतक कोई कार्रवाई नहीं की गई है. कर्मचारियों का कहना है कि स्थानीय प्रशासन और जनप्रतिनिधि पिछले 5-6 महीने से आश्वासन दे रहे हैं. पर अबतक उनके हक में कोई फासला नहीं लिया गया है.

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