अल्मोड़ा: उत्तराखंड में 2022 विधानसभा के सेमीफाइनल के तौर पर देखे जाने वाले सल्ट उपचुनाव में भाजपा ने शानदार जीत दर्ज की है. सल्ट उपचुनाव में भाजपा का सधा हुआ चुनावी प्रचार और सिंपैथी कार्ड कारगर साबित हुआ. भाजपा कार्यकर्ताओं की मेहनत, सटीक रणनीति और सुरेंद्र सिंह जीना फैक्टर इस चुनाव में इतना कारगर साबित हुआ की महेश जीना ने यहां बंपर जीत दर्ज की.
सल्ट के सियसी मैदान में बीजेपी पहले ही दिन से फ्रंटफुट पर आक्रामक होकर बैटिंग कर रही थी. उसके उपर सुरेंद्र जीना की साफ छवि, उनके विकास कार्यों और सहानुभूति को बीजेपी ने यहां जमकर भुनाया. इसी का नतीजा रहा कि सल्ट उपचुनाव में बीजेपी के महेश जीना ने 4697 वोटों से जीत दर्ज की. महेश जीना को यहा कुल 21874 वोट मिले, जबकि कांग्रेस प्रत्याशी गंगा पंचोली को इस उपचुनाव में 17177 वोट मिले.
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सहानुभूति की लहर पड़ी भारी
बता दें बीजेपी के विधायक रहे सुरेंद्र सिंह जीना के निधन के बाद यह सीट खाली हुई थी. जिसके बाद यहां स्व. जीना के बड़े भाई महेश जीना को बीजेपी ने उम्मीदवार बनाया. स्व सुरेंद्र सिंह जीना के निधन के चलते इस उपचुनाव में सहानुभूति की लहर भारी पड़ी. यही कारण है कि महेश जीना ने इस उपचुनाव में अपने भाई से भी ज्यादा मार्जिन से जीत हासिल की है.
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2017 के चुनाव में भी यहां सुरेंद्र सिंह जीना की मुख्य प्रतिद्वंदी गंगा पंचोली ही थी. तब सुरेंद्र सिंह जीना ने गंगा पंचोली को मात्र 2904 मतों से हराया था. अब उनके भाई महेश जीना ने सुहानुभूति के चलते पहले से दो गुने अंतर से जीत दर्ज की है.
महिलाओं का मतदान प्रतिशत रहा ज्यादा
सल्ट उपचुनाव के लिए 17 अप्रैल को मतदान हुआ था. जिसमें 96,241 मतदाताओं में से 41,551 मतदाताओं ने अपने मतों का प्रयोग किया था. इस उपचुनाव में मतदान का प्रतिशत भी काफी कम रहा. जिसमें 43.28 फीसदी ही मतदान हुआ. पुरुषों की अपेक्षा यहां महिलाओं का मतदान प्रतिशत ज्यादा रहा. महिलाओं ने 49.88 फीसदी तो पुरुषों ने 36.75 फीसदी ही मतदान किया.
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सीएम तीरथ ने पास की पहली परीक्षा
सल्ट उपचुनाव 2022 का सेमीफाइनल के तौर पर देखा जा रहा है. सियासी जानकारों की मानें तो यह उपचुनाव नौ महीने बाद होने वाले विधानसभा चुनाव की दशा एवं दिशा तय करेगा. इस उपचुनाव से जहां हाल ही में नेतृत्व परिवर्तन के बाद बने नए मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत की नेतृत्व क्षमता दांव पर थी. वहीं, दूसरी तरफ पूर्व सीएम हरीश रावत का भी भविष्य इस चुनाव से जोड़कर देखा जा रहा है, इसीलिए भाजपा-कांग्रेस दोनों ने इस उपचुनाव को जीतने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगाया था.
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गुटबाजी के कारण हारी कांग्रेस
इस उपचुनाव में कांग्रेस का हार का एक कारण गुटबाजी भी माना जा रहा है. उपचुनाव में कांग्रेस गुटबाजी से जूझती रही. कांग्रेस का एक धड़ा पूर्व विधायक रणजीत सिंह रावत के ब्लॉक प्रमुख पुत्र विक्रम सिंह रावत को मैदान में उतारने का पक्षधर था. मगर पूर्व सीएम हरीश रावत ने गंगा पंचोली पर ही दांव खेला. इससे नाराज पूर्व विधायक रणजीत सिंह रावत उपचुनाव से दूरी बनाए रहे. वहीं ब्लॉक प्रमुख विक्रम सिंह रावत भी खुलकर गंगा पंचोली के समर्थन में नहीं उतरे.