अल्मोड़ाः महान स्वतंत्रता संग्राम सेनानी व भारत रत्न पंडित गोविंद बल्लभ पंत की आज (10 सितंबर) 134वीं जयंती मनाई गई. हर साल उनकी जयंती पर राजनीतिक दलों से जुड़े लोग उनके पैतृक गांव खूंट में जाकर उन्हें याद करते हैं, लेकिन इतने महान शख्सियत का गांव आज भी उपेक्षित है. सरकारों की उपेक्षा के चलते यह गांव पलायन का दंश झेल रहा है. आलम तो ये है कि रोजगार और मूलभूत सुविधाएं की कमी के चलते गांव से करीब 40 फीसदी पलायन हो चुका है.
गोविंद बल्लभ पंत समिति के अध्यक्ष और खूंट गांव के निवासी ललित चंद्र पंत बताते हैं कि गोविंद बल्लभ पंत ने इस गांव से निकलकर देश-विदेश में अपनी छाप छोड़ी. आज पूरा देश उन्हें जनता है, लेकिन इतने बड़े शख्सियत का यह गांव आज उपेक्षित. आज तक जो विकास होना चाहिए था, वो नहीं हो पाया है. आज इस गांव में कई मूलभूत सुविधाओं का अभाव है. गर्मियों में यहां पेयजल की किल्लत शुरू हो जाती है. लोग नौलों-धारों से पानी की जरूरत को पूरी करते हैं.
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गांव के लोग लंबे समय से मिनी स्टेडियम बनाने की मांग कर रहे हैं, लेकिन अब तक स्टेडियम नहीं बन सका है. खेल मैदान के अभाव में गांव के बच्चे खेतों में खेलने को मजबूर हैं, जिससे खेल प्रतिभाएं भी नहीं उभर रहीं हैं. आईटीआई खूंट में पर्याप्त ट्रेड नहीं है. क्षेत्र के युवाओं को तकनीकी शिक्षा का लाभ नहीं मिल रहा है.