अल्मोड़ा: मिठाई का नाम जहन में आते ही मुंह मे पानी आ जाता है और यदि मिठाई ऐसी हो जिसके चाहने वाले न केवल देश बल्कि विदेशों में भी हो तो फिर क्या कहने? सांस्कृतिक नगरी अल्मोड़ा की बाल मिठाई ऐसी ही एक मिठाई है जिसने देश में ही नहीं विदेशों में भी खास पहचान है. इस नगरी को बाल मिठाई का शहर कहा जाए तो अतिशयोक्ति नहीं होगी.
वहीं पर्यटक नगरी अल्मोड़ा जाकर यदि आप वहां की बाल मिठाई का स्वाद न लें तो फिर आपकी अल्मोड़ा की यात्रा अधूरी मानी जाएगी. इसे स्थानीय गांवों से आने वाले शुद्ध खोया से तैयार किया जाता है. जब इस मिठाई को बनाया जाता है तो इसकी खुशबू काफी दूर तक आती है, जिससे इसके बनने का अंदाजा सहज ही लगाया जा सकता है.
बाल मिठाई की नगरी और अल्मोड़ा दोनों शब्द एक दूसरे के पूरक कहे जा सकते हैं. इस मिठाई की डिमांड विदेशों में बसे भारतीय करते रहते हैं. बाहर से आने वाले पर्यटक वापस लौटते समय अल्मोड़ा की बाल मिठाई ले जाना नहीं भूलते हैं. शुद्ध खोये से बनी इस मिठाई की एक खासियत यह है कि यह मिठाई जल्द खराब नहीं होती है.
बाल मिठाई ऐसे होती है तैयार
मिठाई बनाने के लिए खोया, चीनी, खसखस और पानी की आवश्यकता होती है. खोया जिसे मावा भी कहा जाता है, उसे एक कड़ाई में डाल कर खूब पकाया जाता है. फिर उसमें चीनी मिलाई जाती है. जब तक मावे का रंग भूरा नहीं हो जाता तब तक इसे पकाया जाता है. फिर उसे ट्रे में ठंडा होने तक रखा जाता है.
ठंडा होने के बाद उसे चाकू की मदद से काट कर छोटे-छोटे पीस बना दिए जातें है. फिर चीनी की चासनी में पीस बनाकर छाना जाता है. उसके बाद उसको एक बर्तन में ठण्डा करके आयताकार टुकड़ों में काटा जाता है. फिर पोस्त यानि खसखस और चीनी को मिलाकर छोटे छोटे बाल दाने तैयार किए जाते हैं.