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अल्मोड़ा में लक्ष्य सेन का हुआ भव्य स्वागत, विश्व चैंपियनशिप में कांस्य पदक जीतकर बढ़ाया देश का मान

भारत के बैडमिंटन स्टार लक्ष्य सेन अल्मोड़ा पहुंचे हैं. स्पेन में भारत को अंतरराष्ट्रीय बैडमिंटन प्रतियोगिता में कांस्य पदक दिलाने वाले लक्ष्य सेन का उनके गृहनगर अल्मोड़ा पहुंचने पर भव्य स्वागत हुआ. इस दौरान लक्ष्य ने शुभकामनाओं को लेकर सभी का आभार जताया.

Lakshya Sen won bronze medal
लक्ष्य सेन का हुआ भव्य स्वागत

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Published : Dec 28, 2021, 6:30 PM IST

Updated : Dec 28, 2021, 9:18 PM IST

अल्मोड़ा: स्पेन के हुएलवा में खेली गई अंतरराष्ट्रीय बैडमिंटन प्रतियोगिता (international badminton competition) में भारत के लक्ष्य सेन ने कांस्य पदक जीता (Lakshya Sen won bronze medal). आज जब वे अपने गृह नगर अल्मोड़ा पहुंचे तो लोगों ने उनका भव्य स्वागत किया. खेल प्रेमी, राजनीतिक और सामाजिक संगठनों से जुड़े लोगों ने लक्ष्य का माला पहनाकर ढोल नगाड़ों के साथ स्वागत किया.

अल्मोड़ा पहुंचे पर लोगों ने लक्ष्य सेन का जोरदार स्वागत किया. साथ ही उनके उज्ज्वल भविष्य की कामना की. इस दौरान लक्ष्य सेन को देखने के लिए भारी भीड़ उमड़ पड़ी. वहीं, लक्ष्य सेन ने सबका आभार व्यक्त किया. उन्होंने कहा सभी लोगों की शुभकामनाओं की बदौलत उन्होंने यह मेडल जीता है.

लक्ष्य सेन का हुआ भव्य स्वागत

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बैडमिंटन खिलाड़ी लक्ष्य सेन ने कहा कि उनका कॉमनवेल्थ और एशियन गेम्स में भी जीतने का लक्ष्य है. वहीं, लक्ष्य सेन के पिता और कोच डीके सेन ने कहा कि लक्ष्य को जितना मान सम्मान आज मिल रहा है, उससे वो और मोटिवेट होकर आगे भारत का नाम रोशन करेगा.

लक्ष्य सेन ने ईटीवी भारत को स्पेन से भेजा था संदेश:स्पेन के खूबसूरत शहर बार्सिलोना से ईटीवी भारत के बात करते हुए लक्ष्य सेन ने कहा था कि वो अपनी इस सफलता से खुश हैं. वो भविष्य में भी देश को अपने खेल से खुशी के और पल दे सकें इसकी पूरी कोशिश करेंगे. लक्ष्य ने पूरे देश के खेल प्रेमियों और खासकर उत्तराखंड और अल्मोड़ा के लोगों का शुक्रिया अदा किया था.

अल्मोड़ा से हैं लक्ष्य सेन: बता दें लक्ष्य को बैडमिंटन विरासत में मिला है. वह उत्तराखंड के अल्मोड़ा से आते हैं और उनके दादाजी वहां बैडमिंटन खेला करते थे. उनके पिता डीके सेन भी बैडमिंटन कोच हैं, लेकिन लक्ष्य के खेल की ललक जगी अपने भाई चिराग को देखकर. चिराग 13 साल की उम्र में नेशनल रैंकर बन गए थे. घर में बैडमिंटन का माहौल था और फिर बड़े भाई को देखकर लक्ष्य ने भी इस खेल में रुचि दिखाई. उनके दादाजी जब खेलने जाते तो वह लक्ष्य को अपने साथ ले जाते और फिर पिता ने उनको इस खेल का बारीकियां सिखानी शुरू कर दीं.

Last Updated : Dec 28, 2021, 9:18 PM IST

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