अल्मोड़ाः उत्तराखंड में कोरोना संकट के बीच 10वीं और 12वीं कक्षा के लिए स्कूल तो खोल दिए हैं, लेकिन स्कूल खुलते ही सरकार के इस निर्णय पर सवाल भी उठने लगे हैं. जी हां, रानीखेत के एक इंटर कालेज में एक छात्र कोरोना पॉजिटिव निकला है. जिसके बाद स्कूल में हड़कंप मचा हुआ है. इतना ही नहीं स्कूल को तीन दिनों के लिए बंद करना पड़ा है. इसके अलावा उसके संपर्क में आए 15 छात्रों को भी तत्काल आइसोलेट कर दिया गया है.
दरअसल, छात्र के परिजन बीते कुछ समय से सर्दी, जुकाम से पीड़ित थे. सोमवार की सुबह उन्होंने 12वीं में पढ़ने वाले बेटे को स्कूल भेजा और खुद कोरोना जांच कराने राजकीय अस्पताल जा पहुंचे. जहां से अभिभावकों ने स्कूल में फोन कर बच्चे की कोरोना जांच कराने का आग्रह किया. बच्चे का रैपिड टेस्ट हुआ तो वो पॉजिटिव निकल गया. जिसके बाद स्कूल में हड़कंप मच गया. संयुक्त मजिस्ट्रेट अपूर्वा पांडे भी आनन-फानन में स्कूल पहुंची. जहां उन्होंने तत्काल प्रभाव से स्कूल को तीन दिन के लिए बंद करा दिया है.
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वहीं, सभी 15 छात्र-छात्राओं को होम आइसोलेट कर दिया गया है. उनकी भी कोरोना जांच की जाएगी. सुबह स्कूल पहुंचने पर सभी बच्चों की थर्मल स्क्रीनिंग की गई, सभी का तापमान ठीक पाया गया. इसके बाद छात्र-छात्राओं को कक्षाओं में प्रवेश दिया गया. इसी बीच 12वीं सी कक्षा के छात्र के परिजनों का फोन आया कि वो लोग कोरोना जांच कराने गए हैं, बच्चे की भी जांच करानी है, उसे भी अस्पताल भेज दिया जाए. जिसके बाद उसका टेस्ट किया गया तो वो पॉजिटिव पाया गया.
प्रदीप टम्टा ने सरकार पर साधा निशाना
राज्यसभा सांसद प्रदीप टम्टा ने राज्य सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि स्कूल खोलने का निर्णय सरकार ने जल्दबाजी में लिया है. स्कूल खोलने से पहले बच्चों की सुरक्षा के लिए कोई इंतजाम नहीं किए गए. जिन स्कूलों को क्वारंटाइन सेंटर बनाया गया था. उन्हें सैनिटाइज नहीं किया ग. जिसकी वजह से बच्चे कोरोना से संक्रमित हो रहे हैं
राज्यसभा सांसद प्रदीप टम्टा ने कहा कि केंद्र सरकार ने स्कूल खोलने की जिम्मेदारी राज्य सरकारों को सौंप दी है और राज्य सरकार ने बिना सोचे समझे बिना तैयारी के स्कूलों को खोल दिया है. प्रदीप टम्टा के मुताबिक यूरोप और अमेरिका में भी जब स्कूल खुले तो स्कूली बच्चे कोरोना संक्रमित हो गए है. लेकिन सरकार इन घटनाओं से सबक नहीं ले रही है. जिसके गंभीर परिणाम सामने आ रहे हैं.