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पंतनगर विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने किया कमाल, आलू छिलने की मशीन तैयार कर किसानों को दी बड़ी सौगात

आलू छिलने और उससे चिप्स बनाने के लिए अब ज्यादा मेहनत करने की जरूरत नही पड़ेगी. पंतनगर विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों की टीम ने आलू छीलने से लेकर चिप्स बनाने तक की एक मशीन तैयार की है. जिससे कम से कम समय में आलू छीलकर उससे अधिक से अधिक मात्रा में चिप्स तैयार किये जा सकते हैं.

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Published : Mar 8, 2019, 5:55 PM IST

Updated : Mar 8, 2019, 10:56 PM IST

पंतनगर विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने किया कमाल

रुद्रपुर: पंतनगर विश्वविद्यालय के फूड एंड प्रोसेसिंग विभाग के वैज्ञानिकों ने नई तकनीक इजाद की है. यहां के वैज्ञानिकों ने आलू छिलने की मशीन तैयार करते हुए लघु उद्योग करने वालों के लिए एक बड़ा अविष्कार किया है. इस मशीन का इस्तेमाल कर आलू से अपना लघु उद्योग चलाने वाले लोग और व्यापारी समय की बचत के साथ-साथ अपनी आय भी बढ़ा सकते हैं. इस मशीन से किसानों को भी अच्छा खासा लाभ होगा. मशीन में क्या है खास, आइये बताते हैं आपको इस रिपोर्ट में...

पंतनगर विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने किया कमाल


आलू छिलने और उससे चिप्स बनाने के लिए अब ज्यादा मेहनत करने की जरूरत नही पड़ेगी. पंतनगर विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों की टीम ने आलू छीलने से लेकर चिप्स बनाने तक की एक मशीन तैयार की है. जिससे कम से कम समय में आलू छीलकर उससे अधिक से अधिक मात्रा में चिप्स तैयार किये जा सकते हैं.


वैज्ञानिकों की मानें तो हस्तचालित मशीन 1 घंटे में 120 किलो. से लेकर 160 किलो तक आलू छिल सकती है. इस मशीन से उन किसानों को फायदा मिल सकता है जो आलू की खेती करते हैं और दाम न मिलने पर अपनी फसल को कौड़ियों के दाम बाजार में बेच देते हैं. ऐसे में किसान इस मशीन का इस्तेमाल कर घर में ही बड़ी आसानी से कम समय में अधिक चिप्स तैयार कर सकते हैं. इससे किसानों को फसल से अच्छा दाम भी मिल सकता है. यही नहीं ये मशीन कैटरिंग, कैंटीन संचालन और होटलों में भी इस्तेमाल की जा सकती है.


इस मशीन को बनाने वाले वैज्ञानिकों की टीम के सदस्य डॉ. खान चन्द्र ने बताया कि ये मशीन पहाड़ के किसानों के लिए वरदान साबित हो सकती है. उन्होंने बताया कि पहाड़ों में उगाये जाने वाले आलू की फसल से चिप्स तैयार कर बाजारों में संप्लाई की जा सकती है. जिससे पलायन के साथ बेरोजगारी की समस्या का हल हो सकता है. उन्होंने बताया कि उत्तराखंड में महिला सहायता समूहों द्वारा भी इसे आसानी से प्रयोग में लाया जा सकता है. ये मशीन महिला सहायता समूहों की आमदनी का अच्छा जरिया बन सकती है.

Last Updated : Mar 8, 2019, 10:56 PM IST

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