रूद्रपुर:गणेश चतुर्थी का पर्व 2 सितंबर को मनाया जाएगा. इस दिन गणेश भक्त अपने घरों में गणपति बप्पा की मूर्ति स्थापित करेंगे. इसके बाद 10 दिनों तक धूम-धाम से भगवान गणेश की पूजा-अर्चना की जाएगी. वहीं, अनंत चतुर्दशी के दिन गणेश विसर्जन कर इस पर्व का समापन किया जाएगा.
बता दें कि रिद्धि-सिद्धि के दाता भगवान गणेश के जन्मोत्सव मनाने को लेकर देश के कई राज्यों में बाजार बप्पा की खूबसूरत मूर्तियों से गुलजार हैं. वहीं, जिला मुख्यालय रूद्रपुर का बाजार भी गणेश की प्रतिमाओं से पटा हुआ है. वहीं हर साल पीओपी व विभिन्न रंगों से सजी मूर्तियों से होने वाले जल प्रदूषण को रोकने का खास ख्याल रखा गया है. इस साल भगवान गणेश की ईको फ्रेंडली मूर्ति बाजार में श्रद्धालुओं को खूब लुभा रही है.
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दरअसल, पानी को प्रदूषण से बचाने के लिए इस साल कारीगरों द्वारा विशेष प्रकार की प्रतिमा तैयार की गई है, जो सौ फीसदी मिट्टी से बनी है. मिट्टी से बनी गणेश भगवान की मूर्ति बाजारों में लगातार डिमांड में है. दुकानदार भी श्रद्धालुओं को ईको फ्रेंडली मूर्ति लेने की अपील कर रहे हैं. वहीं, गणेश चतुर्थी के इस पर्व पर आइए जानते हैं कि आखिर किस तरह तैयार की गई भगवान गणेश की प्रतिमा.
बता दें कि मिट्टी से बनी हुई इन मूर्तियों की खास बात यह है कि इसमें किसी भी तरह का कैमिकल रंग नहीं चढ़ाया गया है. विसर्जन के समय सिर्फ 15 मिटन में ही प्रतिमा पानी में आसानी से घुल सकेगी. इसके साथ ही दुकानदारों से बात करने पर उन्होंने बताया कि 50 रुपये से लेकर 3 हजार रुपए तक भगवान गणेश प्रतिमा बाजारों में उपलब्ध है. दुकानदारों की मानें तो ईको फ्रेंडली प्रोडक्ट्स को महत्व दे रहे हैं. साथ ही कहा कि पर्व नजदीक आने पर मूर्तियों की बिक्री और बढ़ेगी.