ऋषिकेश: तीर्थनगरी की पहचान के तौर पर जाने जाना वाले लक्ष्मण झूला पुल को लेकर पीडब्लूडी ने एक सर्वे जारी किया है. जिसमें बताया गया है कि पुल की स्थिति जर्जर है. साथ ही सर्वे में बताया गया है कि पुल एक ओर से झुक रहा है. जोकि अपने आप में चौंकाने वाला है. पीडब्लूडी के सर्वे के बाद प्रशासन के माथे पर बल पड़ने शुरू हो गये हैं. महज कुछ ही दिनों में कांवड़ यात्रा शुरू होने जा रही है और उससे पहले इस तरह की स्थिति वाकई में चिंताजनक है.
90 साल पुराना एशिया का सबसे पहला सस्पेंशन ब्रिज जोकि ब्रिटिश शासन काल में बनकर तैयार हुआ था. आज उस पर खतरा मंडराने लगा है. लोक निर्माण विभाग ने लक्ष्मण झूला पुल को लेकर एक सर्वे किया. जिसमें निकलकर सामने आया है कि पुल की स्थिति जर्जर है और पुल एक ओर झुक रहा है. लोक निर्माण विभाग ने अपनी इस सर्वे रिपोर्ट को शासन के सामने रखा है.
पढ़ें-दिव्यांग सीटिंग वॉलीबॉल खिलाड़ी शबाना ने जीता गोल्ड मेडल, हुईं सम्मानित
जिसके बाद अपर मुख्य सचिव ओम प्रकाश ने तत्काल प्रभाव से पुल को बंद करने के आदेश जारी कर दिए हैं. जिसके बाद कावड़ यात्रा को लेकर प्रशासन उहापोह की स्थिति में है. दरअसल, कांवड़ यात्रा में इस बार 50 से 60 लाख कांवड़ियों के आने की संभावना है. ऐसे में लक्ष्मण झूला पुल के बंद होने पर प्रशासन को खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है. हालांकि अभी तक पुल को बंद नहीं किया गया है लेकिन आदेश जारी होने के बाद अधिकारियों की बैठकों का दौर शुरू हो गया है.
पढ़ें-दिव्यांग सीटिंग वॉलीबॉल खिलाड़ी शबाना ने जीता गोल्ड मेडल, हुईं सम्मानित
वहीं लक्ष्मण झूला को बंद करने को लेकर स्थानीय व्यापारी भी हताश हैं. व्यापारियों का कहना है कि उनका सारा व्यापार लक्ष्मण झूला पुल पर ही निर्भर है. लक्ष्मण झूला पैदल आवाजाही का एकमात्र रास्ता है, अगर पुल बंद हो जाता है तो उनके व्यापार पर खासा असर पड़ेगा. व्यापारियों का कहना है कि सरकार को इस पुल को बंद करने के बजाय इसकी मरम्मत करवानी चाहिए.
11 अप्रैल 1930 में बना लक्ष्मणझूला पुल 90 साल पुराना है. इस पुल की नींव अंग्रेजी हुकूमत ने 1927 में रखी थी. जिसके बाद 1930 में लोगों की आवाजाही के लिए इस पुल को खोल दिया गया था. इसे देखने के लिए देश विदेश से बड़ी संख्या में पर्यटक यहां पहुंचते हैं. लक्षमण झूला 450 फीट लम्बा झूलता हुआ पुल है. जहां से नदी, मन्दिरों और आश्रमों का अद्भुत दृश्य देखने को मिलता है. पहले यह जूट का बना एक पुल था जिसे 1939 में लोहे के झूलते हुये पुल के रूप में पुनर्निर्मित किया गया था.